नई दिल्ली: सियासत में कुछ भी संभव है. फायदे के लिए सालों का दोस्त विरोधी बन जाता है और सालों की दुश्मनी दोस्ती में बदल जाती है. वैसे भी सत्ता के लिए बेमेल जोड़ी तो सियासत में कभी नहीं टिकती. ये उदाहरण आपने जम्मू-कश्मीर में भाजपा-PDP की सरकार के समय भी देखा और अब यही आसार महाराष्ट्र में भी अघाड़ी सरकार में बढ़ते घमसान के बीच दिखने लगे हैं.
सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद इस बात के कयास लगने लगे हैं कि कहीं महाराष्ट्र में भी तो इस तरह की तस्वीर तो नहीं बनने लगेगी. शिवसेना कांग्रेस-एनसीपी के साथ अघाड़ी गठबंधन तोड़कर वापस NDA में तो नहीं चली जाएगी. क्या महाराष्ट्र में भी बड़ा उलटफेर होने वाला है? क्या शिवसेना के उद्धव कांग्रेस-एनसीपी को बड़ा झटका देंगे? या फिर महाराष्ट्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया कोई बड़ा कार्ड चलेंगे? मध्य प्रदेश के बाद महाराष्ट्र को लेकर भी कई बड़े सवाल उठ रहे हैं. जवाब में अभी केवल सस्पेंस के अलावा कुछ भी नहीं है.
राजनीतिक विश्लेषक समीर चोगांवकर ने कहा कि हकीकत में महाराष्ट्र में हाल के दिनो में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), एलगार परिषद की जांच, नए मुंबई पुलिस आयुक्त की नियुक्ति और राज्य सभा की सीट जैसे कई बड़े मुद्दों पर NCP और शिवसेना में टकराव की खबरें सामने आईं हैं. ऐसे में महाराष्ट्र में सरकार लद सकती है. उद्धव ठाकरे NDA में वापसी कर सकते हैं.
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