जो कांग्रेस ने 34 साल में नहीं किया, वो भाजपा करेगी ! ज्योतिरादित्य सिंधिया पर चल सकती है बड़ा दांव

जो कांग्रेस ने 34 साल में नहीं किया, वो भाजपा करेगी ! ज्योतिरादित्य सिंधिया पर चल सकती है बड़ा दांव
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भोपाल: मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले क्या भाजपा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को CM की कुर्सी सौंप कर उनके स्वर्गीय पिता माधवराव सिंधिया का सपना पूरा कर सकती है? यह सवाल इन दिनों सूबे के सियासी गलियारों में जमकर चल रहा है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्य में सीएम की कुर्सी सौंपकर भाजपा एक तीर से दो शिकार कर सकती है। वहीं, भाजपा के इस फैसले से कांग्रेस भी बड़ी मुश्किल में पड़ जाएगी।

दरअसल, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 10 मार्च को स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की 78वीं जयंती के मौके पर ग्वालियर में आयोजित कई कार्यक्रमों में शिरकत करने वाले हैं। इस दौरान राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत भाजपा के कई बड़े नेता भी ग्वालियर पहुंचेंगे। इसी दिन यानी 10 मार्च को सबसे पहले खेल मैदान से मैराथन दौड़ का आगाज़ होगा, जिसे केंद्रीय मंत्री सिंधिया हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। वहीं, आज शुक्रवार की दोपहर में शिवपुरी में माधव नेशनल पार्क में टाइगर भी छोड़े जाएंगे। इसके अलावा 10 मार्च को ही सिंधिया छत्री पर भजन संध्या आयोजित की गई है। इसमें भी भाजपा के कई बड़े नेता पहुंचेंगे, यहाँ तक कि, खुद सीएम शिवराज भी शामिल हो सकते हैं। ये सारी बातें इन अटकलों को हवा दे रही है कि, भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश में लॉन्च करने का फैसला कर लिया है। 

बता दें कि, यह ऐतिहासिक तथ्य है कि, पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया और पूर्व पीएम राजीव गांधी में गहरी मित्रता थी। मध्य प्रदेश में जब पूर्व सीएम अर्जुन सिंह की कुर्सी पर 1989 में चुरहट मामला सामने आने के बाद संकट आया था, उस वक़्त भी सीएम पद के लिए माधवराव सिंधिया का ही नाम सबसे आगे था। तत्कालीन पीएम राजीव गांधी चाहते थे कि  सिंधिया को एमपी का CM बना दिया जाए, लेकिन अर्जुन सिंह ने मोतीलाल वोरा का नाम आगे बढ़ाते हुए विधायक दल से फैसला करा दिया। इसके बाद वर्ष 1993 में भी एमपी में सीएम के लिए माधवराव सिंधिया रेस में सबसे आगे थे, मगर उस समय भी केंद्रीय सियासत में सक्रिय अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह के नाम पर मुहर लगवा दी। इस तरह दो बार माधवराव सिंधिया CM बनते-बनते रह गए। हालाँकि, माधवराव सिंधिया का नाम राजीव गांधी के असमय निधन के बाद पीएम पद के लिए भी आगे आया था, लेकिन तब कुर्सी नरसिम्हा राव को मिली, हालाँकि सिंधिया को केंद्रीय कैबिनेट में पद जरूर मिला। वहीं, मनमोहन सिंह से पहले भी माधवराव पीएम पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, किन्तु 2001 में एक प्लेन क्रैश में उनका निधन हो गया।   

अब सियासी गलियारों में ये सवाल तैर रहा है कि क्या माधवराव सिंधिया का CM बनने का सपना ज्योतिरादित्य सिंधिया पूरा करेंगे और भाजपा इसमें उनका साथ देगी ? यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया को एमपी की बागडौर सौंपी जाती है, तो ये कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को टक्कर देने के लिए कांग्रेस में फिलहाल कोई भी ऐसा चेहरा नज़र नहीं आ रहा है। कांग्रेस अभी भी शिवराज सिंह चौहान से अधिक सिंधिया पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वहीं, खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की हर रणनीति और चाल से भली-भांति परिचित हैं। इसके साथ ही, यदि भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाती है तो कांग्रेस में बगावत और बढ़ने की आशंका है। कांग्रेस के कई बड़े नेता भाजपा का रुख कर सकते हैं। इसके साथ ही, मौजूदा सीएम शिवराज सिंह चौहान को केंद्र की सियासत में ले जाने का महत्वपूर्ण फैसला भी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। 

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