नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आज गुरुवार (7 सितंबर) को कहा कि यदि विपक्षी दल संसद के विशेष सत्र का बहिष्कार करते हैं, तो भाजपा एकतरफा फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि 'महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में चर्चा होनी चाहिए, और हम उन्हें आगे रखेंगे।' रमेश का बयान ऐसे समय में आया है, जब विपक्षी दलों के नेता संसद में विशेष सत्र बुलाने के पीछे का मकसद जानने की मांग कर रहे हैं। बुधवार को कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मणिपुर हिंसा, देश की आर्थिक स्थिति, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और किसानों की अन्य मांगों सहित कई मुद्दों पर चर्चा और बहस करने की मांग की थी।
पत्र में, सोनिया गांधी ने यह भी उल्लेख किया था कि सत्र अन्य राजनीतिक दलों के साथ बिना किसी परामर्श के आयोजित किया जा रहा है, और उनमें से किसी को भी सत्र के एजेंडे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने पत्र में लिखा था कि, 'आपने 18 सितंबर, 2023 से शुरू होने वाले संसद का विशेष पांच दिवसीय सत्र बुलाया है। मुझे यह बताना होगा कि यह विशेष सत्र अन्य राजनीतिक दलों के साथ किसी परामर्श के बिना बुलाया गया है। हममें से किसी को भी इसके एजेंडे के बारे में कोई जानकारी नहीं है।' उन्होंने आगे लिखा कि, 'हमने बस इतना बताया है कि सभी पांच दिन सरकारी कामकाज के लिए आवंटित कर दिए गए हैं।' सोनिया गांधी ने कहा, हम निश्चित रूप से विशेष सत्र में भाग लेना चाहते हैं, क्योंकि इससे हमें सार्वजनिक चिंता और महत्व के मामलों को उठाने का मौका मिलेगा।
सोनिया गांधी के पत्र पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि, ''आप हमारी संसद के काम का राजनीतिकरण कर रहे हैं और जब कोई विवाद नहीं है तो आप इसे बेवजह तूल दे रहे हैं।' कांग्रेस नेता के इस दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि विशेष सत्र का एजेंडा साझा नहीं किया गया था, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि, 'पहले कभी नहीं, यहां तक कि जब अन्य सरकारें केंद्र में थीं, एजेंडा पहले से प्रसारित नहीं किया गया था। अनावश्यक रूप से, वे (कांग्रेस) इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं, और यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है। इस बीच, विपक्षी गुट के अन्य नेताओं ने भी इसी तरह की चिंता जताई है।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज झा ने गुरुवार को कहा कि पहले जब विशेष सत्र बुलाया जाता था, तो अपना एजेंडा जनता के साथ साझा किया जाता था, लेकिन अब केवल दो लोग पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को जानते हैं और कोई नहीं जानता कि यह विशेष सत्र क्यों बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि, 'यह कोई सामान्य सत्र नहीं है, यह एक विशेष सत्र है। इससे पहले जब भी विशेष सत्र बुलाया जाता था तो लोगों को अंदाजा होता था कि इसे क्यों बुलाया गया है। यह भारत में नई पारदर्शिता है। अब केवल दो लोग ही पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को जानते हैं और कोई नहीं जानता कि यह विशेष सत्र क्यों बुलाया गया है।'
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