चंडीगढ़: हरियाणा नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भले ही आधे से अधिक शहरों में अपना कब्जा जमाने में कामयाब हो गई हो, मगर सीएम से लेकर डिप्टी सीएम और चार मंत्री अपने-अपने गृह क्षेत्र में सियासी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। सीएम मनोहर लाल खट्टर के गृह जिले करनाल में भाजपा को तीन नगर निकायों में पराजय मिली है। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला अपने गृह विधानसभा क्षेत्र उचाना की नगरपालिका में गठबंधन उम्मीदवार को नहीं जिता सके। यही नहीं खट्टर सरकार के कई मंत्री भी शहरी निकाय चुनाव में अपना गढ़ नहीं बचा सके।
राज्य के 21 जिलों की 46 निकायों में से 22 चेयरमैन के पद पर भाजपा अपने दमपर कब्जा जमाया है, जबकि तीन 3 शहरों में गठबंधन सहयोगी JJP जीतने में सफल रही। इसके साथ ही 19 निकायों में निर्दलीय ने जीत दर्ज की है, तो एक शहर में आम आदमी पार्टी (AAP) और एक निकाय में INLD ने जीत हासिल की है। राज्य में पहली बार निकाय चुनाव लड़ रही AAP खाता खोलने में सफल रही। वहीं, कांग्रेस नगर निकाय चुनाव में पार्टी के चुनाव चिन्ह पर नहीं लड़ी थी, मगर कुछ जगहों पर निर्दलीय को समर्थन किया था।
सीएम खट्टर के गृह क्षेत्र करनाल जिले की चार नगर निकाय सीटों में से तीन सीटों पर भाजपा को शिकस्त का सामना करना पड़ा है। करनाल की तरावड़ी नगर निकाय में अध्यक्ष के लिए भाजपा उम्मीदवार राजीव नारंग को निर्दलीय वीरेंद्र बंसल ने 538 वोटों से मात दी। जिले की असन्ध नगर निकाय के अध्यक्ष पद पर भाजपा के लिए ऐसी ही तस्वीर बनी। कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी सतीश कटारिया ने भाजपा के कमलजीत सिंह लाडी को 553 वोटों से मात दी। इसके अलावा निसिंग में निर्दलीय प्रत्याशी रोमी सिंगला ने 2300 वोट से भाजपा नेता जनक पोपली को पराजित किया। भाजपा के तमाम दिग्गज नेता जहां अपने गढ़ में भाजपा का चेयरमैन नहीं जिता सके, मगर फिर भी पार्टी ने 46 में 22 नगर पालिका में अपना अध्यक्ष जिताकर अपनी बादशाहत कायम करने में सफल रही।
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