सूरत: लोकसभा चुनाव के दौरान एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को गुजरात से अच्छी खबर मिली, क्योंकि सूरत लोकसभा सीट पर उसकी बिना किसी मुकाबले के जीत पक्की हो गई। ऐसा कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुम्भानी के प्रस्तावकों की अनुपस्थिति के कारण नामांकन रद्द होने के बाद हुआ। इसके बाद, शेष आठ उम्मीदवारों ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया, जिससे भाजपा के मुकेश दलाल के लिए यह सीट निर्विरोध जीतने का रास्ता साफ हो गया।
रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी अपने तीन प्रस्तावकों में से किसी को भी चुनाव अधिकारी के सामने पेश करने में विफल रहे, जिसके कारण उनका नामांकन रद्द कर दिया गया। भाजपा ने कुंभानी के प्रस्तावकों के हस्ताक्षर को लेकर सवाल उठाए थे, जिसके बाद उन्हें प्रस्तावकों को चुनाव अधिकारी के सामने पेश करने के लिए कहा गया, लेकिन वो प्रस्तावकों को नहीं ला सके और उनका नामांकन रद्द कर दिया गया। इसके जवाब में कांग्रेस ने सरकार पर लोगों को डराने-धमकाने का आरोप लगाया और कहा कि उनके प्रस्तावकों का अपहरण कर लिया गया है। हालाँकि, प्रस्तावकों ने स्वयं कहा कि उनके हस्ताक्षर कुंभानी के फॉर्म पर नहीं थे और वे कांग्रेस उम्मीदवार के साथ नहीं आए।
चुनाव अधिकारी ने कुंभानी के प्रस्तावकों - उनके बहनोई, भतीजे और साथी - का एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें कहा गया कि उनके हस्ताक्षर नामांकन फॉर्म पर नहीं थे। जवाब देने के लिए एक दिन का समय दिए जाने के बावजूद कुंभानी चुनाव अधिकारी के समक्ष अपने प्रस्तावकों को पेश करने में विफल रहे। सूरत लोकसभा सीट, जिसका प्रतिनिधित्व कभी पूर्व प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई ने पांच बार किया था, 1989 से भाजपा के पास है।
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