मुंबई: मंगलवार को NCP प्रमुख शरद पवार ने खुलासा किया कि रामजन्मभूमि आंदोलन जब जोर पकड़ रहा था तब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को सलाह दी थी कि उन्हें भाजपा के वादे पर विश्वास नहीं करना चाहिए कि बाबरी मस्जिद को कुछ नहीं होगा। शरद पवार ने कहा कि तब तत्कालीन भाजपा नेता विजया राजे सिंधिया ने तत्कालीन पीएम पीवी नरसिम्हा राव को आश्वासन दिया था कि बाबरी मस्जिद को कुछ नहीं होगा। राव ने अपने मंत्रियों की सलाह के खिलाफ उनकी बात पर भरोसा किया था। शरद पवार नरसिम्हा राव सरकार में रक्षा मंत्री थे। वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी की किताब 'हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड' के विमोचन पर बाबरी मस्जिद विध्वंस के वक़्त रक्षा मंत्री रहे पवार ने कहा कि वह तत्कालीन गृह मंत्री शंकरराव चव्हाण एवं गृह सचिव माधव गोडबोले के साथ उस बैठक में मौजूद थे। पवार ने दावा किया कि उस बैठक में विजया राजे सिंधिया ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राव को आश्वासन दिया था कि बाबरी मस्जिद को कुछ नहीं होगा।
NCP सुप्रीमो ने कहा कि गृहमंत्री और गृह सचिव को लगा कुछ भी हो सकता है, किन्तु नरसिम्हा राव ने सिंधिया पर भरोसा करना चुना। शरद पवार ने उस घटनाक्रम को इस तरह बताया। "मंत्रियों का एक समूह था, उस समूह का मैं एक सदस्य था। इस बैठक में विजया राजे सिंधिया ने कहा था कि बाबरी मस्जिद को कुछ नहीं होगा, विजया राजे ने कहा था कि वे लोग सभी आवश्यक कदम उठाएंगे और प्रधानमंत्री को सख्त कदम नहीं उठाने चाहिए।" शारद पवार ने कहा कि विजया राजे का सुझाव प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने स्वीकार कर लिया, तत्पश्चात, गृह मंत्री, गृह सचिव और स्वयं शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को सलाह दी थी कि उन्हें भाजपा नेतृत्व की बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए, कुछ भी हो सकता है। शरद पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भाजपा नेताओं की बात पर विश्वास करना पसंद किया और इसके बाद क्या हम सभी जानते हैं।
कार्यक्रम के चलते पत्रकार नीरजा चौधरी ने मस्जिद विध्वंस के पश्चात् राव की कुछ वरिष्ठ पत्रकारों के साथ हुई बातचीत को याद किया, जहां पीएम से पूछा गया था कि विध्वंस के समय वह क्या कर रहे थे। चौधरी ने दावा किया कि राव ने मीडिया से कहा था कि उन्होंने ऐसा होने दिया क्योंकि इससे एक गंभीर घाव खत्म हो जाएगा तथा उन्हें लगा कि बीजेपी अपना मुख्य राजनीतिक कार्ड खो देगी। इस पुस्तक के विमोचन में शरद पवार के अतिरिक्त, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, कांग्रेस नेता शशि थरूर, पूर्व रेल मंत्री और भाजपा नेता दिनेश त्रिवेदी और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने किया। वहीं दिनेश त्रिवेदी ने पीएम के रूप में राजीव गांधी के समय और उनके प्रमुख सलाहकारों में से एक अरुण नेहरू की भूमिका को याद किया। त्रिवेदी ने कहा, "अरुण नेहरू परिवार की तरह थे।।। वह सबसे अच्छे दौर में से एक था तथा यदि यह जारी रहता तो चीजें बहुत अलग होती।"
मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि अन्ना हजारे आंदोलन को ठीक से नहीं संभाल पाना, कांग्रेस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पतन की वजह बना। उन्होंने कहा, "सरकार के पतन का कारण पहले हुए घोटाले, 2जी... हमने अन्ना आंदोलन को ठीक से नहीं संभाला, इसी के कारण कांग्रेस सरकार का पतन हुआ।" उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह आम सहमति बनाने में अच्छे थे एवं उन्होंने परमाणु समझौते का भी उल्लेख किया। नीरजा चौधरी की पुस्तक ऐतिहासिक महत्व के 6 फैसलों से देश के प्रधानमंत्रियों की कार्यशैली का विश्लेषण करती है। 1977 में आपातकाल के पश्चात् अपनी अपमानजनक हार के पश्चात् 1980 में पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी, शाहबानो मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करने का राजीव गांधी का फैसला, वीपी सिंह द्वारा मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करना, पीएम के रूप में पीवी नरसिम्हा राव की भूमिका पुस्तक में चर्चा किए गए विषयों में बाबरी मस्जिद घटना और अटल बिहारी वाजपेयी एवं मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकारें सम्मिलित हैं।
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