पटना: कभी मजदूरी कर बुनियादी जरूरतों की पूर्ति करने वाली बोधगया की ग्रामीण महिलाएं आज दुनिया के लिए एक मिसाल बन गई हैं, जिनका हुनर सात समंदर पार भी प्रशंसा प्राप्त कर रहा है. इन महिलाओं ने अपनी हस्तशिल्प कला से आर्थिक स्वावलंबन की एक नई तस्वीर बनाई है. अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल होने के कारण बिहार के बोधगया इलाके में हर साल विदेशी सैलानी बड़ी तादाद में आते हैं, इसके लिए गांवों की इन महिलाओं ने अंग्रेजी भाषा भी सीखी, अब वे अपने उत्पाद के बारे में विदेशियों को समझा सकती हैं. यहां आने वाले सैलानी इनके द्वारा तैयार बैग आदि सुंदर सामान खरीदते हैं, जिससे इनकी आमदनी होती है.
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बोधगया के बड़की बभरी, शेखवारा आदि गांवों की इन महिलाओं के जीवन में आया बदलाव और उत्साह देख कर हर कोई दंग रह जाता है. जूली कहती हैं कि अब उनकी आर्थिक स्थिति पहले से बहुत बेहतर है, शिवकुमारी देवी ने अपनी टेलरिंग दुकान खोल ली है, वहीं मेनका मेहंदी बनाती हैं, विदेशी महिलाएं भी उनके पास मेंहदी लगवाने के लिए आती हैं.
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इन ग्रामीण महिलाओं के हुनर को निखारने में विदेशी सैलानियों ने भी सहायता की. यूरोपियन देश माल्टा की कुछ फैशन डिजाइनर व मॉडल ने बोधगया में बोधिवृक्ष के द गार्डेन ऑफ स्माइल्स में करीब 40 महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया, इनमें छोटी बच्चियां भी थीं. क्रिस्टी, इला व मारले की मेहनत रंग लाई और गांवों की महिलाएं बैग से लेकर कपड़े तक बनाने लगीं, इनके उत्पादों को माल्टा और स्पेन के कई आयोजनों में भी प्रदर्शित किया जा चुका है, अब विदेशों में इनके उत्पादों की मांग बढ़ने लगी है.
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