गुवाहाटी: असम के दीमा हसाओ जिले के उमरांगसो क्षेत्र में एक अवैध कोयला खदान के ढहने के बाद से लापता मजदूरों की तलाश के लिए संयुक्त बचाव अभियान जारी है। भारतीय सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, और स्थानीय एजेंसियां लगातार प्रयास कर रही हैं। अब तक खदान से चार मजदूरों के शव निकाले जा चुके हैं, जबकि नौ मजदूर 6 जनवरी को खदान में पानी भरने के कारण फंस गए थे।
नेपाल के गंगा बहादुर क्षेत्र के निवासी एक मजदूर का शव 8 जनवरी को बरामद किया गया था। इसके बाद 11 जनवरी को तीन और शव निकाले गए। हालांकि, अभी भी कुछ मजदूरों का कोई पता नहीं चल पाया है। खदान में पानी भरने और सुरंग ढहने के कारण बचाव कार्य में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
कोल इंडिया की 12 सदस्यीय बचाव टीम शुक्रवार को हादसे वाली जगह पर पहुंची और मजदूरों का पता लगाने के प्रयास शुरू किए। बचाव कार्य के बावजूद, लापता मजदूरों के परिवारों में चिंता का माहौल है। हादसे में जान गंवाने वाले 27 वर्षीय लिजेन मगर की पत्नी जुनू प्रधान ने कहा कि हादसे का दिन उनके पति का काम पर पहला दिन था। उन्होंने बताया, "लिजेन हमारे परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य थे। मेरा 2 महीने का बच्चा है, और अब हमें नहीं पता कि हमारा भविष्य क्या होगा।"
इस हादसे पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विशेष जांच टीम (एसआईटी) से मामले की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने पत्र में अवैध रैट-होल खनन के खतरों और इसमें मजदूरों की सुरक्षा की कमी पर गंभीर चिंता व्यक्त की। गोगोई ने लिखा कि राहत अभियान जारी है, लेकिन मजदूरों के भविष्य को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
यह हादसा असम में अवैध कोयला खनन के खतरनाक प्रचलन को उजागर करता है। स्थानीय लोग और मृतकों के परिजन राज्य प्रशासन और कोयला खदान संचालकों पर लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं। दीमा हसाओ में हुई यह त्रासदी न केवल श्रमिकों की सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि अवैध खनन को लेकर प्रशासनिक व्यवस्था की विफलता की ओर भी इशारा करती है। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन पीड़ित परिवारों को न्याय और समर्थन मिलने में अभी लंबा समय लग सकता है।