रायपुर: समाज एक पत्रकार से क्या चाहता है? सच्चाई और निष्पक्षता ही ना। लेकिन इनकी कीमत क्या होती है, ये अक्सर हम भूल जाते हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर में 33 वर्षीय एक युवा पत्रकार, मुकेश चंद्राकर, भी सच्चाई और जूनून के साथ अपना काम कर रहा था, लेकिन कुछ लोगों को उसकी निष्पक्षता चुभने लगी और मुकेश ने इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकाई।
"कांट्रेक्टर है या कांग्रेसी कांट्रैक्ट किलर!!"
— BJP Chhattisgarh (@BJP4CGState) January 3, 2025
घृणित येन-केन-प्रकारेण की राजनीति के परिचायक कांग्रेसियों... ज़रा अपने गिरेबाँ पर झांककर देखो, क्या जल्दबाज़ी में तुमने अपना ही कच्चा चिट्ठा खोल दिया है!!
बीजापुर के युवा पत्रकार स्व. मुकेश चंद्राकर जी की हत्या का मुख्य आरोपी… https://t.co/VfYnOuB5YE pic.twitter.com/yfkb0soYg5
नए साल के लिए मुकेश ने भी कुछ लक्ष्य निर्धारित किए थे, लेकिन जहां हर कोई मना रहा था, वहीं मुकेश की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गई। उनके शव को इतनी क्रूरता से ठिकाने लगाया गया कि उसे एक सेप्टिक टैंक में ठूंसकर ऊपर से प्लास्टर से ढंक दिया गया, ताकि लाश अंदर ही सड़ जाए और मुकेश की हत्या का राज़, राज़ ही बनकर रह जाए। लेकिन, इसके बीच सवाल उठता है कि, आखिर मुकेश का गुनाह क्या था? क्या यह कि वह सच दिखा रहे थे? या फिर ये कि उन्होंने भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया था, जो भ्रष्टाचारियों को रास नहीं आया? उनकी मौत महज एक हत्या नहीं है; यह उस आज़ादी और हिम्मत पर भ्रष्टाचारियों और अपराधियों का क्रूर हमला है, जो एक पत्रकार को सच कहने के लिए चाहिए।
मुकेश, बस्तर इलाके से NDTV के लिए रिपोर्टिंक करते थे और 'बस्तर जंक्शन' नाम से अपना यूट्यूब चैनल भी चलाते थे. उनका शव 3 जनवरी को बीजापुर जिले में मिला था, तीन दिनों तक लापता रहने के बाद. नए साल के पहले दिन, मुकेश, कांग्रेस नेता और कांट्रेक्टर सुरेश चंद्राकर के भाई रितेश से मिलने गए थे और फिर कभी नहीं लौटे. बता दें कि, इसी कांग्रेस नेता और कांट्रेक्टर सुरेश चंद्राकर के खिलाफ मुकेश ने एक खोजी रिपोर्ट छापी थी, जिसमे 120 करोड़ के सड़क प्रोजेक्ट में हुए घोटालों की पोल खोली गई थी. सुरेश चंद्राकर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस SC मोर्चा के प्रदेश सचिव हैं.
ठेकेदार, जिस पर पत्रकार की हत्या का इल्ज़ाम है, उसका नाम सुरेश चंद्राकर है।
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 3, 2025
सुरेश चंद्राकर कांग्रेस का बड़ा नेता है, जिसे हर चुनाव में कांग्रेस की तरफ से बड़ी ज़िम्मेदारियाँ सौंपी जाती हैं।
कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के साथ आरोपी। https://t.co/wU1tTNGfpQ pic.twitter.com/pGIpkkqghp
पत्रकार मुकेश चंद्राकार का शव भी चट्टानपारा इलाके में सुरेश चंद्राकर के परिसर में ही मिला था, जहाँ उन्हें मारकर एक पानी की टंकी के अंदर बंद कर दिया गया था. अब इन तमाम बिंदुओं को जोड़ने के बाद क्या ये सवाल खड़ा नहीं होता कि कांग्रेस नेता का भ्रष्टाचार उजागर करने का खामियाज़ा मुकेश को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा ? बस्तर रेंज के IG पी सुंदरराज ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि मुकेश के भाई की शिकायत के बाद उनका पता लगाने के लिए एक विशेष टीम बनाई गई थी, जिसकी जांच में पत्रकार का अंतिम मोबाइल लोकेशन चट्टानपारा बस्ती में कांग्रेस नेता और कांट्रेक्टर सुरेश चंद्राकर के परिसर में पाया गया. सुरेश के परिसर में पुलिस को एक सेप्टिक टैंक दिखा, जिसे कंक्रीट से ताजा-ताजा सील कर दिया गया था. पुलिस को शक हुआ, तो टैंक का ढक्कन तोड़ा गया, अंदर मुकेश की लाश थी, जो सड़ने लगी थी. IG ने बताया है कि, पत्रकार के सिर और पीठ पर कई चोटें थीं.
इस घटना को लेकर छत्तीसगढ़ भाजपा ने ट्वीट करते हुए कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है. "कांट्रेक्टर है या कांग्रेसी कांट्रैक्ट किलर!!" घृणित येन-केन-प्रकारेण की राजनीति के परिचायक कांग्रेसियों... ज़रा अपने गिरेबाँ पर झांककर देखो, क्या जल्दबाज़ी में तुमने अपना ही कच्चा चिट्ठा खोल दिया है!! बीजापुर के युवा पत्रकार स्व. मुकेश चंद्राकर जी की हत्या का मुख्य आरोपी कांट्रैक्टर सुरेश चंद्राकर की कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज से घनिष्ठता जगज़ाहिर है। दीपक बैज ने ही सुरेश को कांग्रेस पार्टी के SC मोर्चा के प्रदेश सचिव के पद से नवाजा है। मोहब्बत की तथाकथित कांग्रेसी दुकान से तरह-तरह के अपराध के सामान बिक रहे हैं, सारे सेल्समैन अपराधी जो हैं। सरगना कौन? राहुल गाँधी, जवाब दो।''
वहीं, अमित मालवीय ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, ''ठेकेदार, जिस पर पत्रकार की हत्या का इल्ज़ाम है, उसका नाम सुरेश चंद्राकर है। सुरेश चंद्राकर कांग्रेस का बड़ा नेता है, जिसे हर चुनाव में कांग्रेस की तरफ से बड़ी ज़िम्मेदारियाँ सौंपी जाती हैं। कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के साथ आरोपी।'' हालाँकि, इस मुद्दे पर कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया आई है, लेकिन शायद जल्दीबाज़ी में पार्टी से थोड़ी गलती हो गई . कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, ''छत्तीसगढ़ में BJP का जंगलराज. पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने सड़क में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था. इसके बाद से सड़क बनवाने वाला ठेकेदार नाराज था. ठेकेदार ने मुकेश को बुलाया और उन्हें मारकर लाश को अपने घर की सैप्टिक टैंक में चुनवा दिया. BJP के जंगलराज में कोई भी सुरक्षित नहीं है. कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है.''
कांग्रेस ने आगे लिखा कि, ''इस खबर को मीडिया दिखाएगा, BJP सरकार से सवाल करेगा, इसकी उम्मीद नहीं है. क्योंकि मीडिया में 'सब चंगा सी' मोड ऑन है. हमारी मांग है कि इस मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए. पत्रकार मुकेश के परिवार को जल्द न्याय मिले.'' हालाँकि, कांग्रेस ने आधी बातें तो सही लिखीं कि ठेकेदार का भ्रष्टाचार पकड़ने के कारण पत्रकार की हत्या हुई, लेकिन शायद कांग्रेस ने ठेकेदार का नाम नहीं देखा, सुरेश चंद्राकर, जो पार्टी के ही SC मोर्चे के प्रदेश सचिव हैं. अब कांग्रेस अगर चाहे तो अपने नेता को पार्टी से बाहर कर सकती है, बाकी सजा देना तो कानून का काम है.
सूत्रों की मानें तो, नक्सल प्रभावित इलाके बस्तर में कॉन्ट्रैक्टर लॉबी का काफी दबदबा है, जो अपने सियासी रसूख और पैसों के दम पर सरकारी ठेके हथियाने के लिए कुख्यात है. यदि कोई इस कॉन्ट्रैक्टर लॉबी के भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने की हिम्मत करता है, तो उसे अक्सर डरा-धमकाकर या फिर हिंसा करके चुप करा दिया जाता है, जैसा की मुकेश के साथ हुआ. इस क्षेत्र में सरकारी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वाले पत्रकारों को अक्सर उत्पीड़न और हिंसा का सामना करना पड़ता है.
हालाँकि, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस मुद्दे पर गंभीर रूप अख्तियार किया है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. सीएम विष्णुदेव ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, ''बीजापुर के युवा और समर्पित पत्रकार मुकेश चंद्राकर जी की हत्या का समाचार अत्यंत दु:खद और हृदयविदारक है। मुकेश जी का जाना पत्रकारिता जगत और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। इस घटना के अपराधी को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देने के निर्देश हमने दिए हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिजनों को इस दुःख की घड़ी में संबल प्रदान करें। ॐ शांति.''
हालाँकि, अब देखना ये है कि ये मामला कहाँ तक जाता है, कांग्रेस अपने नेता पर क्या कार्रवाई करती है और अपने कर्तव्य की खातिर जान देने वाले पत्रकार मुकेश चंद्राकर को न्याय देने में शासन-प्रशासन को कितना समय लगता है ?