मुंबई: महाराष्ट्र में रेलवे एवं बस स्टैंडों पर प्रवासी श्रमिकों की भीड़ जमा होने की घटना का संज्ञान लेते हुए बॉम्बे उच्च न्यायलय ने राज्य सरकार से इस बारे में रिपोर्ट देने और यह बताने को कहा है कि इस संबंध में उसने क्या कदम उठाए हैं. प्रदेश में प्रवासियों का मुद्दा काफी तूल पकड़ रहा है और लगातार प्रवासियों के प्रदेश लौटने के लिए हो रही समस्याओं की खबरें आती रही हैं.
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति केके तातेड़ की खंडपीठ शुक्रवार को 'सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस' की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कोरोना संकट के दौरान प्रवासी कामगारों को आ रही परेशानियों पर चिंता जाहिर की गई है. याचिकाकर्ता के अनुसार, जिन प्रवासी श्रमिकों ने महाराष्ट्र से अपने गृह राज्य जाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और बसों की सुविधा उठाने संबंधी आवेदन दिया, उन्हें उनके आवेदनों की स्थिति के संबंध में कोई जानकारी नहीं है.
इसमें कहा गया कि ट्रेन या बस पर सवार होने से पहले उन्हें तंग और गंदे शिविरों में रखा जाता है. उन्हें भोजन और अन्य जरुरी सामान भी नहीं उपलब्ध करवाया जाता. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने शुक्रवार को कोर्ट को बताया कि प्रवासी कामगारों से सम्बंधित मुद्दों संबंधी मामला शीर्ष अदालत में विचाराधीन हैं. अदालत ने इस पर कहा कि फिर भी वह चाहती है कि इस संबंध में राज्य सरकार दो जून तक एक रिपोर्ट जमा करवाए.
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