बैंगलोर: कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड घोटाले में 36 वर्षीय प्रमुख संदिग्ध सत्यनारायण वर्मा ने हैदराबाद के एक कार डीलर से 3.3 करोड़ रुपये में एक पुरानी लेम्बोर्गिनी खरीदी है। यह लक्जरी कार उन्होंने खुद के पैसे से नहीं खरीदी, बल्कि ये पैसा राज्य की अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए आवंटित निधि का एक हिस्सा था। जब घोटाले का खुलासा हुआ, तो पुलिस ने लेन-देन का पता लगा लिया और कार जब्त कर ली। पुलिस ने कार डीलर को वापस कर दी और पैसे का पता लगाने के बाद कुछ ही दिनों में उससे राशि वसूल ली।
रिपोर्ट के अनुसार आरोपी सत्यनारायण को 13 जून को हैदराबाद में विशेष जांच दल (SIT) ने पकड़ा था। पुलिस ने कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम लिमिटेड से संबंधित 8.2 करोड़ रुपये जब्त किए थे। सिद्धारमैया सरकार ने मामला उजागर होने के बाद अनुसूचित जनजाति विकास निगम के बैंक खाते से 94 करोड़ रुपये की चोरी की जांच के लिए आपराधिक जांच विभाग (CID) के पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में राज्य पुलिस की एक SIT का गठन किया था। हालाँकि, विपक्षी भाजपा द्वारा घोटाले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग की गई थी, लेकिन इसमें एक कांग्रेस मंत्री का नाम भी सामने आया था, जिसके बाद राज्य की कांग्रेस सरकार ने CID से ही जांच कराने का फैसला किया। रिपोर्ट के अनुसार, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने CID को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वह बैंक के धन के कुप्रबंधन की जांच करे।
26 मई को फंड ऑडिटिंग से संबंधित विकास निगम के कर्मचारी पी चंद्रशेखरन की आत्महत्या के बाद इन गड़बड़ी का पता चला था। अफसर चन्द्रशेखरन ने अपने सुसाइड नोट में बताया था कि, निगम के बैंक खाते से 187 करोड़ रुपये के अनधिकृत हस्तांतरण किया गया था. उसमें से 88.62 करोड़ रुपये गैर कानूनी रूप से बड़ी IT कंपनियों और हैदराबाद स्थित सहकारी बैंक सहित अन्य के विभिन्न खातों में ट्रांसफर किए गए थे. चन्द्रशेखरन ने अपने इस नोट में निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक जे जी पद्मनाभ, लेखा अधिकारी परशुराम जी दुरुगन्नावर और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य प्रबंधक सुचिस्मिता रावल का नाम लिया था, साथ ही ये भी बताया था कि ये पूरा काम एक मंत्री के कहने पर किया गया था. इस विभाग के मंत्री कांग्रेस नेता नागेंद्र ही थे, जिसके बाद वे राडार पर आए और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। खबर है कि, कल शुक्रवार को एजेंसी ने उन्हें हिरासत में भी लिया है।
अब अधिकारी की मौत और धोखाधड़ी की जांच के लिए SIT का गठन किया गया है। वरिष्ठ IPS अधिकारी और आर्थिक अपराधों के लिए CID के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मनीष खरबीकर इसके प्रमुख होंगे। कर्नाटक सरकार के फैसले के अनुसार, SIT कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम में वित्तीय गबन से जुड़ी सभी घटनाओं की जांच करेगी। कंपनी के दो कर्मचारी, लेखा अधिकारी परशुराम जी. दुरुगन्नावर और पूर्व एमडी जेजे पद्मनाभ को पहले ही SIT हिरासत में रखा जा चुका है। मामले की शुरुआती जांच के अनुसार, 94.73 करोड़ रुपये की सरकारी राशि की चोरी के दिन ही खोले गए नौ फर्जी खाते भी चोरी से जुड़े हैं। यह राशि हैदराबाद स्थित रत्नाकर बैंक लिमिटेड (RBL) के खातों में स्थानांतरित की गई। पूर्व युवा मामले, खेल और अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री और कांग्रेस विधायक बी नागेंद्र को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।
बता दें कि इसके अलावा कांग्रेस सरकार ने आधिकारिक रूप से भी दलित और आदिवासी कोष से 14,730 करोड़ रुपये अपनी चुनावी गारंटियां पूरी करने के लिए निकाले हैं, जो मूल रूप से 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए 39,121 करोड़ रुपये थे। इसकी काफी आलोचना हुई है, विरोधियों ने ये कहते हे कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा कि इस निधि का उपयोग दलित विकास के लिए किया जाना चाहिए था। कांग्रेस सरकार इससे पहले भी SC/ST फंड में से 11000 करोड़ रुपए अपनी चुनावी गारंटियों के लिए निकाल चुकी है।
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