इंदौर: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के दृष्टिबाधित छात्र यश सोनकिया को प्लेसमेंट प्रक्रिया में माइक्रोसाफ्ट कंपनी ने नौकरी के लिए 47 लाख रुपये सालाना का पैकेज आफर किया है। यश कक्षा 5वीं में था, तब से पिता से बोलता था कि मुझे साफ्टवेयर इंजीनियर बनना है। यश ने SGSITS में पढ़ाई की तथा स्क्रीन रीडर की सहायता से साफ्टवेयर इंजीनियर बनने का अपना ख्वाब पूरा किया। यश ने 10वीं तक मध्य प्रदेश बोर्ड से शिक्षा प्राप्त की।
5वीं में जब यश साफ्टवेयर इंजीनियर बनने की बात बोलता था तो दृष्टिबाधित होने से आरम्भ में तो परिवार के सदस्य उसका मन रखने के लिए बोल देते थे कि 10वीं के पश्चात् इस पर बात करेंगे। दसवीं में 88 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले यश को जब 11वीं में विषय चयन करने की बारी आई तो गणित एवं विज्ञान विषय को चुना। आरम्भ में पुस्तकें नहीं मिली। बड़ी कठिनाई से कुछ पुस्तकों का इंतजाम हुआ। तब पता लगा कि कंप्यूटर पर शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्क्रीन रीडर साफ्टवेयर सहायता कर सकता है। इसके बाद जेईई मेन के आधार पर 2017 में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ इंर्फोरमेशन टेक्नोलाजी (IIIT) में प्रवेश हो गया, किन्तु इंदौर में रहकर पढ़ाई करना थी, इसलिए श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (SGSITS) को चुना।
वही यश संस्थान का पहला छात्र था जिसे प्रैक्टिकल करवाने एवं परीक्षा लेने में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा। लिखित परीक्षा की जगह यश को कंप्यूटर आधारित परीक्षा ली गई। हाल ही में प्लेसमेंट प्रक्रिया में यश को माइक्रोसाफ्ट कंपनी ने 47 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर नौकरी का ऑफर दिया है। यश ने कहा कि दुनिया में कुछ ही ऐसी कंपनियां हैं जहां छात्र के केवल ज्ञान को देखा जाता है। माइक्रोसाफ्ट ने भी ऑनलाइन साक्षात्कार लिया एवं आनलाइन कोडिंग करने के लिए बोला। स्क्रीन रीडर की सहायता से उन्होंने जो करने के लिए कहा मैंने वक़्त पर पूरा किया। यश के पिता यशपाल सोनकिया जिला न्यायालय में कैंटीन चलाते हैं तथा मां योगिता सोनकिया गृहणी हैं। उन्होंने कहा कि हमें खुद आश्चर्य होता है कि कक्षा 5वीं में जो इच्छा यश ने बताई थी, उसे पूरा करने में वह कामयाब रहा। इस बीच कई दिक्कतें भी आईं, मगर यश ने हर मोड़ पर हिम्मत नहीं हारी तथा कंप्यूटर साइंस की शिक्षा लेने के लिए घंटों कंप्यूटर पर बैठकर प्रैक्टिस करता रहा। SGSITS के निदेशक प्रो. राकेश सक्सेना का कहना है कि यश इंदौर का पहला छात्र है जिसने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूर्ण की तथा माइक्रोसाफ्ट जैसी नामी कंपनी में नौकरी भी प्राप्त की।
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