'ईमान ले आओ, सब ठीक कर दूंगा..', जामिया मिलिया में दलित कर्मचारी रामनिवास पर धर्मान्तरण का दबाव, ना मानने पर किया प्रताड़ित

'ईमान ले आओ, सब ठीक कर दूंगा..', जामिया मिलिया में दलित कर्मचारी रामनिवास पर धर्मान्तरण का दबाव, ना मानने पर किया प्रताड़ित
Share:

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नाज़िम हुसैन अल जाफ़री, मोहम्मद नसीम हैदर और प्रोफेसर शाहिद तसलीम के खिलाफ़ SC/ST एक्ट की धारा 3(1)(P) और 3(1)(Q) के तहत केस दर्ज कर लिया है। पीड़ित राम निवास सिंह ने ये शिकायत दर्ज कराई है, जो विश्वविद्यालय में प्राकृतिक विज्ञान संकाय में सहायक के पद पर कार्यरत थे। पीड़ित ने अपनी शिकायत में आधिकारिक रजिस्ट्रार नाज़िम हुसैन अल-जाफ़री हैं, डिप्टी रजिस्ट्रार नसीम हैदर हैं और प्रोफिसोर शाहिद तसलीम पर उन्हें जाति-आधारित गालियाँ देने, अमानवीय व्यवहार करने और उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर करने सहित दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है।

रिपोर्ट के अनुसार, अपनी शिकायत में पीड़ित दलित कर्मचारी ने कहा है कि उन्होंने 30 मार्च 2007 को आरक्षित श्रेणी के तहत अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में यूनिवर्सिटी में कार्यभार संभाला था और वर्तमान में प्राकृतिक विज्ञान संकाय में सहायक के रूप में कार्य कर रहे हैं। वह 1 दिसंबर 2015 से 30 नवंबर 2021 तक IHBAS में सहायक के तौर पर  प्रतिनियुक्ति पर थे और 1 दिसंबर 2021 को जामिया में फिर से शामिल हुए। उन्होंने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NoC) मांगा ताकि वह उच्च पदों के लिए आवेदन कर सकें, लेकिन  बिना किसी कारण के उनकी अर्जी खारिज कर दी गई।

पीड़ित ने बताया कि प्रशासनिक कारणों के नाम पर विश्वविद्यालय में उन्हें 2-3 महीने के अंतराल पर कई बार स्थानांतरित किया गया। उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) में भी शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में किसी को भी पेशेवर विकास के अवसरों से वंचित नहीं किया जा रहा है, जैसा कि उनके साथ किया जा रहा है। NCSC को शिकायत के बारे में पता चलने पर अल-जाफरी ने उन्हें 13 अप्रैल 2023 को दोपहर 12:30 बजे कनीज फातिमा नामक व्यक्ति के निर्देशानुसार अपने कार्यालय में बुलाया। पीड़ित को बुलाए जाने से पहले घंटों अल-जाफरी के कार्यालय के बाहर इंतजार करना पड़ा। जब वे कार्यालय में दाखिल हुए तो अल-जाफरी के साथ कुछ अज्ञात व्यक्ति भी अंदर मौजूद थे।

बैठक के दौरान अल-जाफरी ने कहा कि, "रामनिवास, तुम किस तरह के कर्मचारी हो? तुम इस यूनिवर्सिटी से पैसे ले रहे हो, तुम्हारे बच्चे यहीं पले-बढ़े हैं। तुम सीधे आयोग के पास नहीं जा सकते।" कुछ मिनट बाद, वह अज्ञात व्यक्ति उनके चैंबर से चला गया। फिर आरोपी अल जाफरी ने राम निवास सिंह को अपमानित करते हुए कहा कि, "तुम निचली जाति के हो, तुम भं# हो, और तुम्हें वैसे ही रहना चाहिए। तुम्हारे जैसे लोगों को आरक्षण के कारण नौकरी मिलती है, लेकिन फिर भी उन्हें अपनी जगह का पता नहीं होता। यह मत भूलो कि जामिया एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी है, और तुम्हारी नौकरी हमारे रहम पर है।"

यही नहीं, पीड़ित राम निवास को यौन उत्पीड़न के झूठे और मनगढ़ंत मामले में फंसाने की धमकी दी गई, जिसके चलते उनकी नौकरी भी जा सकती है। उन्हें अल-जाफरी के खिलाफ उच्च अधिकारियों से संपर्क न करने के लिए कहा गया और उन्हें जातिवादी गालियां दी गईं। पीड़ित राम निवास सिंह बातचीत का केवल शुरुआती हिस्सा ही रिकॉर्ड कर पाए थे कि अल-जाफरी ने फोन देख लिया और छीन लिया। कुछ दिनों बाद, उन्होंने 29 अप्रैल 2023 को सहायक रजिस्ट्रार और अनुभाग अधिकारी के पद के लिए विज्ञापन देखा, लेकिन SC/ST उम्मीदवारों के लिए कोई आरक्षण नहीं था। इसके बाद उन्होंने आरक्षण की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया, क्योंकि यह उनका संवैधानिक अधिकार था। 16 जून 2023 को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं के लिए प्रत्येक श्रेणी में एक पद खाली रखे, जिसके तहत उन्होंने आवेदन किया था।

शिकायत के अनुसार, हाई कोर्ट के आदेश के बाद, राम निवास सिंह को यूनिवर्सिटी में लगातार प्रताड़ित किया जाने लगा। प्रोफेसर शाहिद तसलीम द्वारा कथित तौर पर उनके पेशेवर विकास में बाधा डालने के लिए अल-जाफरी के इशारे पर एक झूठी और मनगढ़ंत शिकायत दर्ज कराई गई थी। उनके खिलाफ वास्तविक शिकायत को आगे बढ़ाए बिना उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया। कुछ समय बाद, उन्हें शिकायत की एक प्रति मिली, जिस पर उन्होंने आधिकारिक जवाब दाखिल किया।

इसके अलावा, जब उन्होंने दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना एवं विकास निगम (DSIIDC) में प्रतिनियुक्ति के आधार पर प्रबंधक के पद के लिए आवेदन किया, तो उनके आवेदन को जानबूझकर उनके ACR और सतर्कता मंजूरी के बिना अधूरा भेज दिया गया। जब उन्होंने कार्यालय से संपर्क किया, तो पता चला कि सतर्कता मंजूरी और ACR आवेदन की अंतिम तिथि के तीन महीने से अधिक समय बाद भेजे गए थे। पीड़ित दलित कर्मचारी ने बताया कि विजिलेंस क्लीयरेंस में 'कारण बताओ नोटिस' का उल्लेख किया गया था, जिसे उन्होंने "जाति-आधारित भेदभाव का खुला प्रदर्शन" करार दिया। जब उन्होंने अपने पूर्व HOD शाहिद तसलीम से बात की, तो उन्हें बताया गया कि अल-जाफरी ने तसलीम को उनके खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर किया। कुछ समय बाद, उन्होंने अल-जाफरी से उनके चैंबर में फिर से मुलाकात की और उनसे अपमान, जाति-आधारित भेदभाव और मानसिक यातना को रोकने का अनुरोध किया।

उस समय, अल-जाफरी ने उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने की सलाह दी थी। राम निवास ने अपनी शिकायत में बताया कि, "ईमान लाओ, मैं सब ठीक कर दूंगा। कलमा पढ़ो, सब ठीक हो जाएगा। मैं तुम्हारे बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित करूंगा। तुम्हें हिंदू धर्म से क्या मिला? जामिया ने सचिन को मोहम्मद अली बना दिया और उसकी जिंदगी संवार दी। उसे ड्राइवर की स्थायी नौकरी मिल गई क्योंकि वह ईमान लेकर आया था।" राम निवास सिंह ने कहा कि उन्होंने शिकायत बंद करने के लिए कई बार अल-जाफ़री से मुलाकात की, लेकिन उन्हें बार-बार धमकाया गया। जाफ़री कहते रहे कि, "मैं आपकी शिकायत कभी बंद नहीं करूँगा। आपने जामिया के अल्पसंख्यक दर्जे को चुनौती दी है, और आपको इसकी कीमत चुकानी होगी। जामिया मुसलमानों के लिए एक संस्था है, काफिरों (गैर मुस्लिमों) के लिए नहीं।" उन्होंने सिंह के खिलाफ़ "जाहिल", "च#र", "भं#" और "काफ़िर" जैसे अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया।

बता दें कि जामिया मिलिया इस्लामिया का नाम कई बार विवादों में रहा है। कई मौकों पर SC/ST कर्मचारियों पर अत्याचार की खबरें आई हैं और विश्वविद्यालय के कुलपति को NCSC ने 2023 में तलब भी किया है। 18 मई को भारत सरकार के NCSC ने जामिया मिलिया इस्लामिया की कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर को शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर भर्ती और पदोन्नति में SC/ST आरक्षण को मनमाने ढंग से खत्म करने से संबंधित शिकायत के आधार पर शुरू की गई जांच में भाग लेने के लिए बुलाया था। यह शिकायत 11 मई को वर्ल्ड दलित काउंसिल के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष भूपेंद्र पाल सिंह चमार और अखिल भारतीय चमार महार जाटव महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ने दर्ज कराई थी। अख्तर को नोटिस मिलने के सात दिनों के भीतर आरोपों पर तथ्य और की गई कार्रवाई प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।

11 मई को दर्ज अपनी शिकायत में भूपेंद्र ने कहा कि उनके संगठन को सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित केंद्रीय विश्वविद्यालय यानी जामिया मिलिया इस्लामिया में SC/ST समुदाय के लिए आरक्षण की भारत सरकार की संवैधानिक रूप से अनिवार्य योजना को निरस्त करने का मामला मिला। भूपेंद्र ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के किसी भी हस्तक्षेप के बिना SC/ST समुदाय को यूनिवर्सिटी में अधिकारों से वंचित किया गया है। उन्होंने 29 अप्रैल 2023 को यूनिवर्सिटी द्वारा गैर-शिक्षण पदों के लिए प्रकाशित एक विज्ञापन की तरफ इशारा किया, जिसमें SC/ST के आरक्षण रोस्टर का उल्लंघन किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि यूनिवर्सिटी ने आरक्षण रोस्टर के संबंध में अक्टूबर 2021 में जारी UGC के दिशा-निर्देशों का जानबूझकर उल्लंघन किया है। बता दें कि भूपेंद्र और राम निवास दोनों ने 29 अप्रैल 2023 को विज्ञापनों में उल्लिखित पदों में SC/ST कोटा गायब होने के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

एक बार फिर कांग्रेस-सपा मिलकर देंगे भाजपा को टक्कर, यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होगी भिड़ंत

बंगाल के घर में ऐसी सुरंग, जिससे अपराधी सद्दाम भाग गया बांग्लादेश ! हाथ मलती रह गई ममता सरकार की पुलिस, Video

महाराष्ट्र में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ बड़ा एक्शन, गढ़चिरोली पुलिस ने 12 माओवादियों को किया ढेर

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -