'बांग्लादेश से लाओ, भारत में बसाओ..', इस काम के लिए आदिल, नजीबुल और अबू को मिले थे 20 करोड़, बनवाते थे भारत के फर्जी दस्तावेज़

'बांग्लादेश से लाओ, भारत में बसाओ..', इस काम के लिए आदिल, नजीबुल और अबू को मिले थे 20 करोड़, बनवाते थे भारत के फर्जी दस्तावेज़
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते (UP ATS) ने गुुरुवार (12 अक्टूबर 2023) को तीन अवैध बांग्लादेशियों को अरेस्ट किया है। ये सभी आरोपी मानव तस्करी में शामिल थे। बांग्लादेशियों को भारत में लाकर बसाने के लिए इन आरोपियों को विदेशों से 20 करोड़ रुपए मिले थे। ATS को इन तीनों के बैंक अकाउंट से 1.50 करोड़ रुपए मिले हैं। अरेस्ट किए गए आरोपियों के नाम आदिल मोहम्मद अशर्फी उर्फ आदिल उर रहमान, शेख नजीबुल हक और अबू हुरायरा गाजी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यूपी ATS ने बताया है कि मानव तस्करी वाले इस सिंडीकेट के सदस्य बांग्लादेशी नागरिकों को बॉर्डर पार कराकर भारत लाते और उन्हें यहाँ बसाते थे। इसके लिए आरोपी उन लोगों के भारतीय नागरिकता संबंधित फर्जी दस्तावेज भी बनवा देते थे। विदेशों से जो फंडिंग होती थी, उनका उपयोग ये लोग इस काम में करते थे। ATS के ADG मोहित अग्रवाल ने जानकारी दी है कि इस संबंध में ATS के वाराणसी यूनिट को सूचना मिली थी। ATS की जांच में खुलासा हुआ है कि सिंडीकेट का सदस्य आदिल मोहम्मद अशरफी उर्फ आदिल उर रहमान पश्चिम बंगाल से दिल्ली या सहारनपुर जाने की योजना बना रहा था। इससे पहले ATS ने कार्रवाई करते हुए उसे वाराणसी में दबोच लिया। उसके पास से फर्जी आधार कार्ड और पासपोर्ट मिला है।

पूछताछ में आदिल ने कबूला है कि ये दस्तावेज उसे पश्चिम बंगाल के निवासी शेख नजीबुल हक और अबु हुरायरा गाजी की सहायता से मिले थे। उसने बताया कि ये दोनों फिलहाल दिल्ली से लगे उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रह रहे हैं। इसके बाद ATS ने सहारनपुर से उन दोनों को अरेस्ट कर लिया। तीनों ने पूछताछ में अपना जुर्म कबूल कर लिया है। इन्होंने बताया कि ये बांग्लादेश के निवासी हैं और काफी समय से यूपी में रह रहे थे, इनके पास भारत के तमाम दस्तावेज़ भी थे। जांच एजेंसी को संदेह है कि, ये लोग फर्जी वोटिंग भी करते होंगे।  सहारनपुर से पकड़े गए दोनों बांग्लादेशी नागरिकों ने कबूला है कि उन्होंने बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद हबीबुल्लाह मस्बाह उर्फ नजीब के फर्जी कागज़ात भी बनवा लिए थे। हबीबुल्लाह को कुछ दिन पहले सहारनपुर से दबोचा गया था। इनके पास से अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पार कराने के सबूत भी बरामद हुए थे। जाँच में यह बात भी सामने आई कि विदेशों से कुछ NGO के FCRA अकाउंट में 20 करोड़ रुपए की फंडिंग की गई थी। यह राशि मदरसों और स्कूलों के लिए आई थी। इसका उपयोग मानव तस्करी में हो रहा था। यह सिंडीकेट अवैध घुसपैठ कराने, फर्जी कागज़ात बनवाने, शरण देने और भारत विरोधी गतिविधियों में इस धन का इस्तेमाल कर रहा था।

बता दें कि यूपी में अवैध रूप से छिपकर रह रहे कई बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को पकड़ा जा चुका है। एक बार इन बांग्लादेशियों के फर्जी दस्तावेज़ बनवाने और उन्हें बसाने में समाजवादी पार्टी (सपा) के एक स्थानीय नेता का भी नाम सामने आया था। यूपी ATS ने इस जुलाई में राज्य के सहारनपुर, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद, अलीगढ़ और मथुरा में कार्रवाई कर लगभग 74 रोहिंग्या मुस्लिमों को अरेस्ट किया था। जानकारी के अनुसार, बांग्लादेशी नागरिक और रोहिंग्या मुस्लिमों की तादाद तक़रीबन 4000 थी। पुलिस के मुताबिक, पकड़े गए घुसपैठी 10 से 15 वर्षों से उत्तर प्रदेश में रह रहे थे। कईयों के पास तो राशन कार्ड, वोटर आईडी और अन्य भारतीय डॉक्यूमेंट भी बने हुए थे।

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