भारत में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग कहानियां और चमत्कारिक विशेषताएँ हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और संभल जिलों के बहजोई स्थित सादातबाड़ी गाँव का पातालेश्वर शिव मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहाँ लोग भगवान शिव को झाड़ू चढ़ाकर अपनी बीमारियों से छुटकारा पाते हैं।
पातालेश्वर शिव मंदिर: परिचय
पातालेश्वर शिव मंदिर, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और संभल जिलों के बहजोई स्थित सादातबाड़ी गाँव में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के पवित्र शिवलिंग के लिए जाना जाता है, जिसका आधार पाताल लोक में माना जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ लोग झाड़ू चढ़ाकर अपनी समस्याओं और बीमारियों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।
शिवलिंग की पौराणिक कथा
इस मंदिर में स्थित शिवलिंग का आधार पाताल में है, यही कारण है कि इसे पातालेश्वर महादेव का मंदिर कहा जाता है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, शिवलिंग की गहराई को मापने के लिए कई बार इसे उखाड़ने की कोशिश की गई, लेकिन कोई भी इसे हिला नहीं सका। यह धार्मिक मान्यता इस मंदिर की दिव्यता और ऐतिहासिक महत्व को और भी बढ़ा देती है।
झाड़ू चढ़ाने की परंपरा
पातालेश्वर मंदिर की एक अनोखी परंपरा है – यहाँ भगवान शिव को झाड़ू चढ़ाना। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और सोमवार, शिवरात्रि और सावन के महीने में विशेष रूप से देखने को मिलती है। भक्तजन दूध के साथ झाड़ू चढ़ाकर अपनी त्वचा से संबंधित बीमारियों से राहत प्राप्त करते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस विशेष पूजा से व्यक्ति को त्वचा रोगों से मुक्ति मिलती है।
परंपरा की शुरुआत
इस परंपरा की शुरुआत की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। एक समय की बात है, भिखारी दास नामक एक व्यापारी त्वचा के रोग से पीड़ित था। उसने कई उपचार करवाए लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिली। एक दिन, प्यास लगने पर वह एक आश्रम में पानी पीने गया। वहां एक झाड़ू से टकराने पर उसकी त्वचा की बीमारी ठीक हो गई। इस चमत्कारी घटना के बाद, भिखारी दास ने आश्रम के संतों को बहुत सा धन देने की इच्छा प्रकट की, लेकिन संतों ने उसे मंदिर बनाने की सलाह दी। इसके बाद, भिखारी दास ने इस आश्रम में शिव मंदिर का निर्माण करवाया, जो अब सादातबाड़ी शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
वार्षिक मेला और अन्य मंदिर
पातालेश्वर महादेव शिव मंदिर की स्थापना 1902 में हुई थी। इस मंदिर में साल में दो बार मेला भी लगता है, जो यहाँ आने वाले भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। इसके अलावा, मंदिर परिसर के पास ही एक और मंदिर है, जो पशुपतिनाथ मंदिर की तरह दिखता है और इसमें पाँच सौ एक शिवलिंग स्थापित हैं।
पातालेश्वर शिव मंदिर एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है, जहाँ आस्था और परंपरा का अनूठा संगम देखने को मिलता है। यहाँ की परंपराओं और चमत्कारों की कहानियाँ भक्तों को धार्मिक अनुशासन और विश्वास की ओर प्रेरित करती हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसकी कहानियों और परंपराओं के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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