पेट्रोल पम्पो में दुनिया के सबसे साफ़ ईधन BS6 की बिक्री शुरू, ये होंगे लाभ

पेट्रोल पम्पो में दुनिया के सबसे साफ़ ईधन BS6 की बिक्री शुरू, ये होंगे लाभ
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भारत सरकार के परिवहन मंत्रालय के नियम अनुसार 1 अप्रैल से पेट्रोल और डीजल के नए मानक बीएस6 को लागू हो गया है वही देश भर में इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है जबकि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते बीएस4 गाड़ियों के स्टॉक को बेचने के लिए जो समय सीमा दी गयी थी उसे 10 दिनों तक आगे बढ़ा दिया गया है। वही बीएस6 वाहनों के लिए देश भर में कई पेट्रोल पम्पो में बीएस6 पेट्रोल उपलब्ध होने लगे है। देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी Indian Oil Corporation के जानकारों का कहना है की कंपनी ने देशभर में BS6 मानक लागू करने की समय सीमा 1 अप्रैल का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। देश BS6 पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल करेगा। वास्तव में, कंपनी ने लगभग दो हफ्ते पहले देश भर में इन ईंधनों को बेचना शुरू कर दिया था।

आपको बता दे बीएस6 मानक है क्या और देश को इससे कैसे लाभ होगा ? केंद्र सरकार वाहनों से होने वाले प्रदूषकों के उत्पादन को नियंत्रित करने के लिए मानक तय करती है। इसे बीएस, यानी भारत स्टेज कहा जाता है। केंद्र सरकार ने BS की शुरुआत वर्ष 2000 में की थी। इसे विभिन्न मानदंडों और मानकों के अनुसार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से लाया गया। पेट्रोल-डीजल इंजन से मुख्य रूप से CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड), CO (कार्बन मोनोऑक्साइड), HC (हाइड्रोकार्बन) और NOx (नाइट्रोजन के ऑक्साइड) पैदा होता है। इनके अलावा PM (पार्टिकुलेट मैटर) या कार्बन सुट डीजल के साथ-साथ डायरेक्ट-इंजेक्शन पेट्रोल इंजन का एक अन्य उत्पाद होता है।

बीएस6 मानक के उपयोग से वायु प्रदूषण फैलाने वाले मोटर वाहनों सहित सभी इंजन वाले उपकरणों के लिए मानक के रूप में तय किया गया है। बताया जा रहा है कि बीएस6 ग्रेड के ईंधन से प्रदूषण में कमी होगी। BS6 ईंधन उत्सर्जन मानक पहले की तुलना में कड़े हैं। BS4 की तुलना में इसमें NOx का स्तर पेट्रोल इंजन के लिए 25 फीसदी और डीजल इंजन के लिए 68 फीसदी कम है। इसके अलावा डीजल इंजन के HC + NOx का स्तर 43 फीसदी और पार्टिकुलेट मैटर का स्तर 82 फीसदी कम किया गया है। प्रदूषण के इन मानकों को घटाने के लिए BS6 इंजनों में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है। BS6 नियम आने से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। बीएस6 ईंधन से पर्टिकुलेट मैटर में इनकी 20 से 40 एमजीसीएम तक ही हिस्सेदारी रहेगी। इसके साथ ही बीएस6 ईंधन से 10 पीपीएम ही सल्फर का उत्सर्जन होगा।

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