नई दिल्ली: सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL के 20 हजार कर्मचारियों पर नौकरी पर तलवार लटक रही है. कर्मचारी यूनियन ने बताया कि BSNL ने अपनी सभी इकाइयों को आदेश दिया है कि ठेके पर रखे गए कर्मचारियों के खर्चों पर अंकुश लगाए. इससे BSNL से कॉन्ट्रैक्टर्स के माध्यम से जुड़े 20,000 वर्कर्स की नौकरी जा सकती है. यूनियन का दावा है कि कंपनी की पॉलिसी के कारण 30,000 कर्मचारियों को पहले भी निकाला जा चुका है. इन सभी को एक साल से अधिक समय से वेतन नहीं मिला है.
1 सितंबर को BSNL ने अपने सभी चीफ जनरल मैनेजर्स को पत्र लिखकर कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के खर्चों में कटौती करने संबंधी निर्देश दिए थे, जिसमें कॉन्ट्रैक्टर्स के माध्यम से लाए जा रहे लेबर्स में कटौती करने के लिए भी कहा गया था. चेयरमैन ने स्पष्ट कहा कि इसके लिए वो एक साफ खाका तैयार करें. उन्होंने कहा कि अधिकतर सर्किल में क्लस्टर बेस्ट काम आरंभ होने के बाद ठेके पर रखे गए हाउसकीपिंग, सिक्योरिटी जैसे स्टाफ की कोई आवश्यकता नहीं है.
यूनियन ने BSNL के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पी के पुरवार को एक पत्र भेजकर कहा है कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लागू होने के बाद कंपनी की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. कई शहरों में कर्मचारियों की कमी के कारण नेटवर्क में गड़बडियां बहुत बढ़ गई हैं. यूनियन ने कहा कि VRS के बाद भी BSNL अपने कर्मचारियों को वक़्त पर सैलरी नहीं दे पा रही है. यूनियन ने कहा कि पिछले 14 महीने से भुगतान नहीं होने की वजह से 13 कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स ख़ुदकुशी कर चुके हैं.
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