नई दिल्ली: वैसे तो 1 फरवरी को आने वाले बजट का इंतज़ार हम सभी को है वहीं 1 फरवरी, 2020 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट 2020 पेश करेंगी. यह बजट खास महत्व रखता है क्योंकि यह धीमी अर्थव्यवस्था, खराब मांग और लगभग ग्यारह वर्षों में सबसे कम जीडीपी की पृष्ठभूमि में पेश किया जाएगा. दिसंबर महीने में 7.35 फीसदी की हालिया मुद्रास्फीति की संख्या ने नकारात्मक भावना को और भी बढ़ा दिया है. जंहा जैन ने कहा कि विभिन्न वर्गों और हितधारकों की अपनी ही तरह की मांगे हैं. हितधारकों के एक उप-वर्ग से कुछ प्रमुख मांगें जो बदलाव ला सकती हैं और अर्थव्यवस्था को बढ़ा सकती हैं, यहां सूचीबद्ध की गई हैं:
व्यक्तिगत आय कर की दरें: पिछले साल कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के साथ और जबकि वित्त मंत्री ने व्यक्तिगत करदाताओं को इसी तरह से कुछ राहत देने की बात की थी, कर की दर में कटौती या स्लैब या छूट की सीमा में कुछ बदलाव करने की उम्मीदें अधिक हैं. इसका मतलब कि मध्यम वर्ग के हाथों में ज्यादा खर्च करने की क्षमता होगी, जिससे खपत को बढ़ावा मिलेगा और मांग में वृद्धि होगी. हालांकि, वित्त मंत्री राजकोषीय विवेक को देखेंगी क्योंकि देश में करदाताओं के कम आधार को देखते हुए व्यक्तिगत आय कर के साथ छेड़छाड़ करने की गुंजाइश सीमित है.
ग्रामीणों की आय को बढ़ावा देना: जैसा कि हमारी अर्थव्यवस्था अभी भी काफी हद तक कृषि आधारित है, राजकोषीय प्रोत्साहन और अन्य उपायों से ग्रामीण आय में वृद्धि करने से कृषि आय बढ़ाने में बहुत मदद मिलेगी. ज्यादा आमदनी और बचत से विवेकाधीन वस्तुओं की ग्रामीण मांग बढ़ेगी. मोबाइल फोन, ट्रैक्टर, कृषि उपकरण और एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) उत्पादों जैसी वस्तुओं और उत्पादों की खपत पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है.
विनिवेश लक्ष्य: विनिवेश रणनीति के हिस्से के रूप में, सरकार ने हाल ही में एक बांड ईटीएफ लॉन्च किया है. इसने पहले दो एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स - सीपीएसई ईटीएफ और भारत 22 ईटीएफ लॉन्च किए थे जो स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध थे. इस वित्तीय वर्ष में विनिवेश लक्ष्य 1 लाख करोड़ के करीब रहने की उम्मीद है क्योंकि सरकार एयर इंडिया (फ़िर से बोली लगेगी), बीपीसीएल (अंडरवे) और कॉनकोर (अंडरवे) की कार्यनीतिक बिक्री के लिए कमर कस रही है. सरकार कुछ सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी 51% से नीचे लाने पर भी विचार कर रही है.
इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा: इंफ्रास्ट्रक्चर को अभी भी बड़े पैमाने पर ले जाना है और इस मोर्चे पर इस बजट से बहुत उम्मीदें हैं. निम्न स्तर की रोजगार दर जो समय के साथ बिगड़ रही है, उसे सड़क और राजमार्ग विकास, रेलवे, सिंचाई और जलमार्ग विकास, रियल एस्टेट आदि जैसी गहन श्रम वाली परियोजनाओं में सरकारी खर्च में भारी वृद्धि से बढ़ावा मिलेगा.
वित्तीय और अन्य प्रमुख क्षेत्र: हालांकि आरबीआई ने 2019 में दरों में पांच बार कटौती की थी, लेकिन क्रेडिट डिमांड पर प्रभाव और अमीरों से गरीबों की ओर धन प्रवाह सीमित था. लिक्विडिटी और क्रेडिट डिमांड और प्रवाह को बढ़ाना वित्त मंत्री के लिए एक फोकस क्षेत्र होगा. पिछली कुछ तिमाहियों में औद्योगिक उत्पादन काफी नीचे चला गया है. प्रमुख इंडस्ट्रियल इंडेक्स लगातार नीचे जा रहा है जिसमें आठ प्रमुख उद्योग जैसे शामिल हैं, जैसे कि बिजली, स्टील, कोयला, कच्चा तेल, सीमेंट, प्राकृतिक गैस और उर्वरक. इन क्षेत्रों के लिए दृष्टिकोण पिछले कुछ समय से काफी हद तक नकारात्मक क्षेत्र में रहा है. वित्त मंत्री से उम्मीद है कि वह विशेष उपायों या नीतिगत बदलावों की घोषणा करके बजट में इसे संबोधित करेंगी.
इक्विटी बाजार में सुधार: लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स का उन्मूलन भावना को बढ़ाने में बहुत बड़े सकारात्मक कार्य के रूप में काम कर सकता है. भारत में इक्विटी बाजारों में भागीदारी बहुत कम है और एलटीसीजी टैक्स ने समस्या को बस बढ़ाया है. एक और कर को तर्कसंगत बनाने की ज़रूरत है - लाभांश वितरण कर (डीडीटी). कर आदर्श रूप से लाभांश प्राप्त करने वाले व्यक्ति पर लगाया जाना चाहिए. वर्तमान में, यह उस कंपनी पर लगाया जाता है जो इसे घोषित और वितरित करती है.
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