राजकोषीय संतुलन बिठाने को रेवेन्यू जुटाना सरकार लिए बेहद अहम होता है।इसके अलावा इसलिए टैक्स रेवेन्यू की धीमी रफ्तार को देखते हुए सरकार ने अब विनिवेश पर अपना भरोसा बढ़ाया है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने 210000 करोड़ रुपये का बड़ा टारगेट रखा है। वही इस दिशा में सरकार ने एलआइसी में अपनी हिस्सेदारी का कुछ हिस्सा बेच कर शेयर बाजार में आइपीओ के जरिए लिस्ट कराने और आइडीबीआइ में बची हुई इक्विटी को बेचने का निर्णय लिया है। वही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आगामी वित्त वर्ष का आम बजट पेश करते हुए ऐलान किया कि एलआइसी को शेयर बाजार में लिस्ट कराने की घोषणा की। वही वित्त मंत्री ने कहा कि शेयर बाजार में लिस्ट होने का मतलब है कंपनी का अनुशासित होना।
इसके साथ ही इससे कंपनियों की पहुंच वित्तीय बाजारों तक बनती है और उनकी वास्तविक वैल्यू उभरकर सामने आती है।एलआइसी के शेयर बाजार में लिस्ट होने से खुदरा निवेशकों को कंपनी में भागीदारी का अवसर मिलता है जिससे संपदा का सृजन होता है।सरकार एलआइसी को लिस्ट कराने के लिए अपनी कुछ हिस्सेदारी शेयर बाजार के जरिए बेचेगी। फिलहाल , वित्त मंत्री ने फिलहाल अपने बजट भाषण में इस बात को स्पष्ट नहीं किया है कि एलआइसी में सरकार की कितनी इक्विटी हिस्सेदारी बेची जाएगी।अभी सरकार के पास एलआइसी की सौ फीसद हिस्सेदारी है। एलआइसी का विनिवेश इस लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि शेयर बाजार में लिस्टेड तमाम कंपनियों में यह काफी अधिक निवेश करती है।
शेयर बाजार में निवेश करने वाले घरेलू वित्तीय संस्थानों में इसका अहम स्थान है। इसके अलावा बैंकिंग सिस्टम को मजबूत बनाने के प्रयासों का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने आइडीबीआइ बैंक में भी अपनी बची हुई हिस्सेदारी बेचने का ऐलान बजट में किया है।बीते वर्ष ही सरकार ने आइडीबीआइ बैंक में अपनी 51 फीसद हिस्सेदारी एलआइसी को बेची थी। वही शेयर बाजार में पहले से ही लिस्टेड आइडीबीआइ बैंक में सरकार के पास फिलहाल 4.11 फीसद हिस्सेदारी है। वही सरकार की योजना आइडीबीआइ बैंक में अपनी इस हिस्सेदारी को निजी, खुदरा और संस्थागत निवेशकों को बेचने की है।सरकार के रेवेन्यू प्राप्तियों की रफ्तार चालू वित्त वर्ष में धीमी रही है। इसकी वजह से अगले वित्त वर्ष के लिए भी सरकार ने बजट में बहुत बड़ा टारगेट नहीं रखा है। वही इसलिए सरकार रेवेन्यू के लिए नॉन टैक्स रेवेन्यू पर ज्यादा भरोसा कर रही है। इसके तहत विनिवेश एक बड़ी भूमिका में होगा। इसके अलावा आगामी वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश से 210000 करोड़ रुपये जुटाने का इरादा जताया है।
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