नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट तैयार करने में लग गई हैं। इस बीच नौकरीपेशा लोग सरकार से राहत की आस लगाए बैठे हैं। उन्हें इस बात की उम्मीद है कि सरकार इस बजट में इनकम टैक्स में कुछ राहत दे सकती है। लेकिन, आपको बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में इस मामले में सुधार को लेकर सरकार की तरफ से कोई बड़ी घोषणा बजट भाषण में नहीं की गई है।
दरअसल, वेतनभोगी वर्ग को देश में करदाताओं का सबसे बड़ा समूह माना जता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि उनके लिए सरकार को कुछ राहत का ऐलान करनी चाहिए। सरकार को नई आयकर व्यवस्था को आकर्षक बनाने या पुरानी व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब को कम करने के बारे में विचार करना चाहिए। बता दें कि पुरानी इनकम टैक्स व्यवस्था के तहत लागू 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाने के लिए भी कई अनुरोध किए गए हैं। एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि कोरोना महामारी के बाद लोगों की आय में वृद्धि धीमी हुई है और इस दौरान महंगाई भी बढ़ी है। इसलिए वेतनभोगी लोगों की मांग उचित है। हालाँकि, वे आगामी बजट में इस प्रकार की घोषणाओं को लेकर बहुत उम्मीद नहीं रख रहे हैं।
कई अर्थशास्त्रियों ने पहले ही कहा है कि बिगड़ते वैश्विक आर्थिक माहौल और आगामी वित्त वर्ष में GDP में मंदी की संभावना के मद्देनजर सरकार को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। DBS में प्रबंध निदेशक तैमूर बेग ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि इस बजट में अधिकतर खर्च, बुनियादी ढांचे के विकास के इर्द-गिर्द हो सकता है। इससे देश में रोजगार के रास्ते खुलेंगे और विकास की रफ्तार तेज होगी।
सरकार आगामी वित्त वर्ष में वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच कम निर्यात के मद्देनज़र अपने राजकोषीय घाटे को कम करने पर भी फोकस करेगी। अर्थशास्त्रियों का यह भी कहना है कि सरकार बाहरी बाधाओं से अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए अनावश्यक खर्च में कटौती करेगी। भले ही 2023-2024 का यह बजट अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र अहम होगा, लेकिन ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ज्यादा खर्च से बचेंगी और एक संतुलित मार्ग अपनाएंगी। ऐसे में आगामी बजट में टैक्स छूट की संभावना कम ही दिखाई दे रही है।
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