आनंद महिंद्रा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से ब्लॉकबस्टर बजट की जताई उम्मीद

आनंद महिंद्रा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से ब्लॉकबस्टर बजट की जताई उम्मीद
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भारत की आर्थिक विकास दर के घटने को लेकर उद्योग जगत तो चिंतित था परन्तु जिस तरह से महंगाई ने अपने तेवर दिखाए हैं उससे उनकी चिंता दोगुनी हो गई है। देश के कुछ बड़े उद्योगपतियों ने तो वित्त मंत्री से अब 'ब्लॉकबस्टर बजट' पेश करने की गुहार लगानी शुरु कर दी है जिससे अर्थव्यवस्था को तेजी से पटरी पर लाया जा सके। दूसरी तरफ कई एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में यहां तक कहा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को अब राजकोषीय संतुलन से अधिक चिंता विकास दर करनी चाहिए। राजकोषीय घाटा अगर अगले वित्त वर्ष के दौरान 3.5 फीसद के लगभग भी रहता है तो यह चिंता की बात नहीं होगी। हालाँकि अर्थव्यवस्था से जुड़े ताजा आंकड़ों को देखते हुए कुछ एजेंसियां यह कह रही हैं कि सरकार के पास इस बार बहुत कुछ करने के लिए नहीं हो सकता है।

चालू वित्त वर्ष के दौरान विकास दर के 5 फीसद पर सीमित रहने पर महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा है कि, ''इस विकास दर के साथ हम फिर चीन से पिछड़ जा सकते है । हमारी प्रतिस्प‌र्द्धी क्षमता को फिर से बाहर लाने की जरुरत है। वित्त मंत्री जी अपने ब्लॉकबस्टर बजट से फिर से दुनिया को चौंकाने का काम कीजिए। इसमें कुछ नाटकीय कदमों को जोडि़ए।'' देश के प्रमुख उद्योग चैंबर सीआइआइ की तरफ से बजट पर सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी गई है उसमें महंगाई दर के मध्यावधि लक्ष्य की तरह ही राजकोषीय घाटे का भी मध्यावधि लक्ष्य तय करने और इसे लचीला (ताकि जरुरत के हिसाब से बदलाव हो सके) बनाने को कहा है।

इसके अलावा राजकोषीय घाटे को लचीला बना कर विकास के लिए ज्यादा पैसे का इंतजाम किया जा सकता है। वही यदि यह आगे चल कर 2-3 वर्ष में राजकोषीय घाटे को एक निर्धारित समय सीमा में काबू करने की रणनीति बनाई जा सकती है। परन्तु कहने की जरुरत नहीं कि सीआइआइ के इस सुझाव को मानना सरकार के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है ।दूसरी तरफ मंगलवार को एचडीएफसी बैंक की तरफ से आगामी बजट पर अपनी रिपोर्ट जारी की गई है।इसके अलावा  बैंक मानता है कि हालात ऐसे नहीं है कि सरकार कोई बड़े कदम उठा सकते है । मौजूदा व पुराने बजटीय प्रस्तावों में भी कुछ इधर-उधर करके बजट पेश किया जाएगा।वही  इसमें कहा गया है कि वित्त मंत्री ना तो सरकारी खर्चे में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि करने की स्थिति में हैं और ना ही राजस्व की स्थिति को देखते हुए करों की दरों में कोई बड़ा बदलाव कर सकती हैं।

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