अर्थव्यवस्था पर गहराती मंदी के संकेतों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार से आगामी बजट की तैयारियों की विधिवत शुरुआत कर देंगी। यह शुरुआत विभिन्न सेक्टरों के विशेषज्ञों व प्रतिनिधियों के साथ विमर्श व उनकी समस्याओं के सुनने के साथ हो सकती है। पहले दिन वित्त मंत्री स्टार्ट-अप के प्रतिनिधियों के साथ ही देश में डिजिटल पेमेंट व फाइनेंशियल तकनीक से जुड़ी कंपनियों के प्रतिधिनियों से विमर्श करेंगी। सोमवार को ही वित्त मंत्री की पूंजी बाजार नियामकों व वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ बैठक होगी। अगले कुछ दिनों के दौरान वे उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, कृषि क्षेत्र के जानकारों व वैज्ञानिकों, श्रम संगठनों, ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों व अर्थशास्त्रियों के साथ अलग-अलग मुलाकात करेंगी। अधिकतर जानकार व विशेषज्ञ मान रहे हैं कि वित्त मंत्री सीतारमण की तरफ से पेश होने वाले दूसरे बजट में घरेलू मांग को बढ़ाना पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाएगा।
साल 2020-21 के लिए आम बजट पहली फरवरी को पेश किया जाएगा। वैसे, इस बार पहले से ही कुछ उद्योग संगठनों, एजेंसियों और अर्थविदों की तरफ से आगामी बजट को लेकर सुझाव देने का सिलसिला शुरू हो गया है। उद्योग जगत की तरफ से जो सुझाव वित्त मंत्रालय को मिले हैं उनमें अधिकांश ने घरेलू मांग को बढ़ावा देने की सबसे ज्यादा जरूरत बताई है। अग्रणी उद्योग चैंबर फिक्की ने कॉरपोरेट टैक्स की दर में हाल ही में की गई कटौती का स्वागत किया है। परन्तु चैंबर ने यह भी कहा कि आम जनता की जेब में भी खर्च लायक रकम बढ़ाया जाना जरूरी है और इसके लिए व्यक्तिगत कर की दरों को नए माहौल के मुताबिक बनाना होगा। फिक्की का सुझाव है कि आयकर की छूट सीमा को मौजूदा 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का कदम बहुत उपयोगी साबित होगा। 10 से 20 लाख रुपये आय-वर्ग पर टैक्स की दर को 20 प्रतिशत और 20 लाख रुपये से ज्यादा पर 30 प्रतिशत निर्धारित करने का सुझाव दिया गया है। अभी 10 लाख रुपये से ज्यादा कमाई वाले वर्ग को 30 प्रतिशत की दर से आयकर देना पड़ता है।
एक अन्य उद्योग चैंबर पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी पांच लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं को आयकर से पूरी तरह से छूट देने की बात कही है। उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री सीतारमण ने खुद भी आयकर में कटौती के ठोस संकेत दिए हैं।वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार कुछ आर्थिक थिंक टैंक व संस्थानों की तरफ से भी आम बजट मेमोरेंडम प्राप्त हुआ है जिसमें घरेलू मांग को बढ़ाने को लेकर काफी विस्तार से चर्चा की गई है। इस महीने में अभी तक अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर जो सूचनाएं आई हैं उससे भी यह बात साबित हो रही है कि घरेलू मांग बढ़ाने के लिए सरकार को कुछ कदम उठाने होंगे। अभी तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने ब्याज दरों को घटाने में काफी मदद की है। परन्तु महंगाई दर पिछले तीन महीनों के उच्च स्तर पर जाते ही बैंक ने रेपो रेट में कटौती का सिलसिला तोड़ दिया है। ऐसे में आम जनता के हाथ में खर्च करने योग्य अतिरिक्त राशि पहुंचाने की व्यवस्था सरकार की तरफ से ही करनी होगी। पर्सनल टैक्स में राहत इसका सबसे अच्छा तरीका हो सकता है।पिछले गुरुवार को सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों में बताया गया कि अक्टूबर में देश के औद्योगिक उत्पादन में 3.34 प्रतिशत की गिरावट हुई है। जबकि इसी महीने खुदरा महंगाई की दर 5.54 प्रतिशत हो गई है।
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