नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने आखिरी फैसले में बुलडोजर एक्शन पर कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि कानून के शासन में बुलडोजर से न्याय करना उचित नहीं है। किसी की संपत्ति को इस तरह नष्ट कर देना न्याय नहीं माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि बुलडोजर का उपयोग करके लोगों की आवाज़ को दबाना सही नहीं है, और यह कानून की दृष्टि में स्वीकार्य नहीं है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन जजों की बेंच ने कहा कि बुलडोजर से कार्रवाई करना किसी भी सभ्य न्याय प्रणाली का हिस्सा नहीं हो सकता है। बेंच ने स्पष्ट किया कि यदि किसी संपत्ति को गैरकानूनी कब्जे से मुक्त कराना हो तो राज्यों को उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। बुलडोजर जस्टिस को मंजूरी देना गलत होगा, क्योंकि ऐसा करने से संविधान के अनुच्छेद 300ए का उल्लंघन होता है, जो संपत्ति के अधिकार को सुरक्षा प्रदान करता है। अनुच्छेद 300ए के अनुसार, किसी व्यक्ति को बिना कानूनी प्राधिकार के उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है।
यह मामला उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में हुए बुलडोजर एक्शन से जुड़ा था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को फटकार लगाई और मुआवजा देने का आदेश भी दिया। कोर्ट ने कहा कि बिना नोटिस के किसी के घर को गिराना अनुचित है और इससे अराजकता की स्थिति पैदा होती है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जिनके घर तोड़े गए हैं, उन्हें 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर 2022 को पद संभालने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके बाद जस्टिस संजीव खन्ना भारत के अगले चीफ जस्टिस बनेंगे।
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