अवैध निर्माणों पर चलकर ही रहेगा बुलडोज़र..! सुप्रीम कोर्ट ने कह दी बड़ी बात

अवैध निर्माणों पर चलकर ही रहेगा बुलडोज़र..! सुप्रीम कोर्ट ने कह दी बड़ी बात
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन के मामले पर सुनवाई शुरू हो गई है, जिसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकारों की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपना पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान मुख्य बहस इस पर रही कि क्या बुलडोजर एक्शन किसी विशेष समुदाय (मुस्लिम) के खिलाफ हो रहा है, जैसा कि आरोप लगाए जा रहे हैं। तुषार मेहता ने इस बात पर जोर दिया कि अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए उठाए जा रहे कदम किसी धर्म या समुदाय को निशाना बनाकर नहीं उठाए गए हैं।

जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और जो भी गाइडलाइन बनाई जाएगी, वह पूरे देश पर लागू होगी। उन्होंने यह भी कहा कि चाहे मंदिर हो या दरगाह, अगर अवैध अतिक्रमण किया गया है, तो उसे हटाना जरूरी होगा, क्योंकि जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है। इससे पहले, 17 सितंबर को कोर्ट ने 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी थी और कहा था कि देशभर में फिलहाल कोई भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जाए। हालांकि, सड़कों, फुटपाथों और रेलवे लाइनों पर किए गए अतिक्रमण पर कार्रवाई की छूट दी गई थी।

सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों में एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाना चाहिए, ताकि नोटिस की प्रक्रिया को डिजिटाइज किया जा सके। इससे अधिकारी भी सुरक्षित रहेंगे और नोटिस भेजने और उसे लागू करने की जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध रहेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर कहा कि उन्हें यह चिंता है कि एक समुदाय विशेष (मुस्लिम) को निशाना बनाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। इस पर जस्टिस गवई ने जोर देकर कहा कि जो भी निर्णय लिया जाएगा, वह पूरे देश के लिए लागू होगा, और धर्म या समुदाय के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।

सुनवाई के दौरान यूनाइटेड नेशन की तरफ से एक इंटरवेंशन एप्लीकेशन दाखिल की गई, जिसमें हस्तक्षेप करने की पेशकश की गई थी। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि भारत को किसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी की मदद की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने पहले ही स्पष्ट किया था कि सार्वजनिक सड़कों, जल निकायों, रेलवे लाइनों आदि पर किए गए अतिक्रमण, चाहे वे किसी भी धर्म से संबंधित हों, हटाए जाएंगे। सुनवाई के अंत में, जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि अदालत इस बात को साफ करेगी कि अगर कोई केवल आरोपी या दोषी है, तो उसके खिलाफ बुलडोजर एक्शन नहीं लिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि सरकारी जमीन और सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण करके बनाए गए ढांचों को हटाना जरूरी है, चाहे वे किसी भी धर्म से संबंधित हों।

यह फैसला उन याचिकाकर्ताओं के लिए एक झटका है, जिन्होंने यह दावा किया था कि बुलडोजर कार्रवाई सिर्फ मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रही है। अदालत ने इस मुद्दे पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के आधार पर होगी, और यह पूरे देश में लागू होगी।

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