एक अध्ययन में दावा किया गया है कि दुनिया की तकरीबन एक चौथाई आबादी को 2022 तक कोविड-19 का टीका संभवत: नहीं मिल जाएगा। द बीएमजे नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बोला गया है कि वैक्सीन वितरित करना, उसे विकसित करने जितना ही चुनौतीपूर्ण होने वाला है। इस जर्नल में प्रकाशित हुए एक दूसरे अध्ययन में यह कयास लगाए जा रहे है कि पूरे दुनिया में 3.7 अरब वयस्क कोविड का टीका लगवाना चाहते हैं। यह अध्ययन कम और मध्यम आय वाले देशों में मांग के अनुरूप आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने के लिए निष्पक्ष और न्यायसंगत रणनीतियां बनाने की महत्ता को रेखांकित कर रहा है।
जंहा इस बात का पता है कि वैश्विक कोरोना वायरस का टीकाकरण कार्यक्रम की चुनौतियां टीका विकसित करने से जुड़ी चुनौतियों जितनी ही परेशानी होंगी।अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने बोला कि यह अध्ययन बताता है कि अधिक आय वाले देशों ने जिस प्रकार वैक्सीन की भविष्य में आपूर्ति सुनिश्चित कर ली है, लेकिन शेष विश्व में इनकी पहुंच अनिश्चित है।
वैक्सीन वितरण के लिए भारत को चाहिए 80 हजार करोड़ : पुणे स्थित वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. सतीश डी रवेत्कर ने बोला कि इंडिया को अगले वर्ष कोविड-19 के वितरण के लिए 80 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। सीरम ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन को देश में कोविशील्ड के नाम से तैयार कर रही है। उन्होंने बोला कि बिजली सप्लाई को भी बहाल रखने की आवश्यकता होगी, ताकि वैक्सीन की सुरक्षा के लिए आवश्यक तापमान को बरकरार रहने वाली है।
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