एक कुएं के पास एक पेड़ था. उस कुएं में बहुत सरे मेंढक रहते थे. एक दिन सरे मेंढक साथ बैठकर चर्चा कर रहे थे कि हमारे हमेशा कुएं में रहने के कारण लोग अब हम पर तानाकशी करने लगे है और तो और उनके नाम पर मुहावरा (कुंए का मेढ़क हो गया है) भी बोलने लगे हैं. सबके बिच बैठा एक मेंढक उठा और बोला कि इस कहावत को झुठलाते हुए मै यह तय करता हूँ कि वह इस पेड़ की चोटी पर चढ़ेगा. इससे वह दुनिया को दिखाएगा कि मेढ़क सिर्फ कुंए के नहीं होते बल्कि वह ऊंचे से ऊंचे पेड़ पर भी चढ़ सकते हैं.
इतना कहते ही वह पेड़ की तरफ मुड़़ गया और पेड़ की ओर आगे बढ़ने लगा. पीछे से उसके सभी साथी चिल्लाते हुए उसे रुकने के लिए बोलने लगे, "यह संभव नहीं है. तुम पेड़ पर नहीं चढ़ सकते." लेकिन मेढ़क लगातार पेड़ की सबसे ऊंची शाखा पर पहुंचने की कोशिश करता रहा और आखिर में चोटी पर पहुंचने में कामयाब हुआ.
क्या आप जानते है वह ऐसा करने मै कैसे कामयाब हुआ ?
असल मै वो मेंढक बहरा था और अपने साथियों के आत्मविश्वास को बढ़ाने और अपने कौशल को साबित करने के लिए बिना रुके आगे बढ़ता रहा जिससे उसने सफलता भी प्राप्त की और दूसरों को प्रेरित भी किया. जीवन मै कभी भी किसी की भी बात को सुनकर रुकना नहीं वहहिये बल्कि दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए जीवन मे कामयाबी जरूर मिलेगी.
जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए अपनाएं ये चाणक्य नीति
प्रयास का आख़िरी क्षण होता है बेहद महत्वपूर्ण
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