‘जय श्रीराम... सभी को अंतिम प्रणाम’, लिखकर शख्स ने पत्नी और बेटे को उतारा मौत के घाट और...

‘जय श्रीराम... सभी को अंतिम प्रणाम’, लिखकर शख्स ने पत्नी और बेटे को उतारा मौत के घाट और...
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गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है यहाँ चाकू घोंपकर मां बेटे का बेरहमी से क़त्ल कर दिया गया है। यहां जिले के कवि नगर थाना इलाके के महिन्द्रा एन्क्लेव में महिला एवं उसके बेटे का क़त्ल किया गया है। जबकि महिला का पति गंभीर रूप से घायल है। कर्ज चुकाने में नाकाम रहने पर पति ने अपनी पत्नी और बेटे का क़त्ल करने के बाद स्वयं को भी मारने का प्रयास किया है। घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। वहीं लहूलुहान हालत में मिले महिला के पति को उपचार के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। मृतक महिला की पहचान 36 वर्षीय सोनू और उसके 12 वर्षीय बेटा विनायक के रूप में हुई है। जबकि पति की पहचान 45 वर्षीय अमरदीप के रूप में हुई। मौके से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है जिसमें आर्थिक तंगी का जिक्र करते हुए हत्या और आत्महत्या की बात लिखी हुई है।

कहाजा रहा है कि अमरदीप का कांगड़ा में डिपार्टमेंटल स्टोर था। पूंजी की कमी के कारण वह नहीं चलता था। अमरदीप पर काफी कर्ज भी था। इससे वह तनाव में रहता था। कर्ज एवं आर्थिक तंगी से तंग आकर उसने पत्नी और बच्चे का चाकू से गला रेत दिया तथा अपनी जान देने का भी प्रयास किया। पड़ोसियों ने पुलिस को इसकी खबर दी। अमरदीप मूल रूप से हिमाचल का रहने वाला है। अमरदीप पर लगभग 30 लाख रुपए का कर्ज है। वह फाइनेंस कंपनियों की कॉल्स और वसूली एजेंट की धमकी से परेशान था। कहा जा रहा है कि घटना से कुछ घंटे पहले भी एजेंट तगादे के लिए पहुंचे थे। दरवाजा बंद देखकर वापस लौट गए। अमरदीप ने अपनी पुश्तैनी मकान के पेपर गिरवी रखकर लोन लेने का प्रयास किया था मगर भाई-बहनों के मना करने पर बैंक से लोन नहीं मिला तब वह और परेशान रहने लगा।

पुलिस को अमरदीप के कमरे से बरामद हुआ सुसाइड नोट में लिखा है- बड़ा बेटा होने के बाद भी वह अपने परिवार के लिए कुछ नहीं कर पाया, उल्टे मेरे वजह से सबको परेशानी ही हुई। ‘मेरे ऊपर अब तक इतना कर्जा हो चुका है कि उतारने में शायद यह जीवन कम पड़ जाए। मैंने मकान के ऊपर लोन अप्लाई किया था। उम्मीद थी कि भाई-बहन लोन के लिए मान जाएंगे मगर उन्होंने इंकार कर दिया। फिर मैं अंदर से हिम्मत नहीं जुटा सका’ अंत में अमरदीप ने लिखा है। ‘बस भगवान से यही प्रार्थना है कि वह मेरी पत्नी और बेटे को मुक्ति दे तथा मुझ पापी को जब तक इस पृथ्वी पर जीवन है तब तक मैं आत्मा बनकर भटकता रहूं, हे ईश्वर मुझे कोई शरीर मत देना, मैं भटकता ही रहूं, जय श्रीराम, आप सभी को अंतिम बार प्रणाम। छोटे भाई-बहनों को प्यार और बच्चों को स्नेह।

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