नई दिल्ली: एडटेक कंपनी बायजूस (Byju's) में इन दिनों खासा घमासान मचा हुआ है। नकदी संकट से जूझ रही इस कंपनी के फाउंडर और सीईओ बायजू रविंद्रन (Byju Raveendran) को हाल ही में निवेशकों द्वारा आयोजित एक असाधारण आम बैठक (EGM) में कंपनी से बाहर निकालने का प्रस्ताव पारित किया गया था। हालांकि, रविंद्रन ने अगले ही दिन सफाई देते हुए कहा कि वे सीईओ बने रहेंगे और मैनेजमेंट में कोई बदलाव नहीं होगा।
निवेशकों का आरोप
बायजूस के निवेशकों का आरोप है कि कंपनी के शीर्ष नेतृत्व ने कुप्रबंधन (mismanagement) किया है, जिसके कारण कंपनी वित्तीय संकट में फंस गई है। निवेशक फर्म प्रोसस ने कंपनी का मूल्यांकन 22 अरब डॉलर से घटाकर 5.1 अरब डॉलर कर दिया है। शुक्रवार को हुई EGM में Investors Prosus, General Atlantic और Peak XV जैसे बड़े शेयरधारकों ने बायजू रविंद्रन, उनकी पत्नी और सह-संस्थापक दिव्या गोकुलनाथ, और उनके भाई ऋजु रवींद्रन को बोर्ड से हटाने का प्रस्ताव पारित किया।
बायजू रविंद्रन का बयान
कंपनी से निकाले जाने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए बायजू रविंद्रन ने अपने निवेशकों के लिए एक पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि वे सीईओ बने रहेंगे और मैनेजमेंट में कोई बदलाव नहीं होगा। उन्होंने शुक्रवार को हुई EGM को "तमाशा" करार दिया।
NCLT में मुकदमा
बायजूस संकट लंबे समय से जारी है। इससे पहले, एडटेक फर्म बायजू के चार निवेशकों ने NCLT (National Company Law Tribunal) में मिस-मैनेजमेंट के संबंध में मुकदमा दायर किया था। इस मुकदमे में भी रविंद्रन को निदेशक मंडल से हटाने की मांग की गई है।
बायजूस की स्थापना और उतार-चढ़ाव
बायजूस की स्थापना 2011 में बायजू रविंद्रन और दिव्या गोकुलनाथ ने की थी। यह कंपनी एक लर्निंग ऐप के रूप में मशहूर हुई। 2015 में Byju's लर्निंग ऐप लॉन्च किया गया। यह स्टार्टअप अगले चार साल में यूनिकॉर्न बन गया। कोरोना काल में जब स्कूल और कोचिंग बंद हुए तब इस कंपनी ने बड़ी उछाल देखी।
हालांकि, हाल ही में कंपनी नकदी संकट में फंस गई है। बायजूस को बेंगलुरु स्थित अपना सबसे बड़ा ऑफिस स्पेस खाली करना पड़ा है क्योंकि कंपनी किराया भरने में नाकाम रही थी। यह देखना बाकी है कि बायजूस इस संकट से कैसे उबरती है। निवेशकों और कंपनी के बीच चल रहे विवाद का समाधान कैसे होगा, यह भी एक बड़ा सवाल है।
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