सीवी रमन ऐसा एक ऐसे वैज्ञानिक हुए हैं, जिन्होंने दुनिया को रोशनी का सिद्धांत समझाने वाली खोज तो दी ही, साथ ही कई और भी ऐसे कार्य किए, जिन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। सीवी रमन न केवल विज्ञान में नोबेल पाने वाले पहले भारतीय थे, बल्कि वह पहले ऐसे भारतीय भी थे, जिन्हें सरकारी नौकरी में ऊंचा पद मिला था। सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को हुआ था।
सन 1906 में सीवी रमन ने एमए की परीक्षा पास की थी। इसके बाद उन्हें वित्त विभाग में जनरल अकाउंटेंट की नौकरी मिल गई। सरकारी नौकरी में इतना ऊंचा पद पाने वाले रमन पहले भारतीय थे। हालांकि उन्होंने ज्यादा समय तक यह नौकरी नहीं की और 1917 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता के एक नए साइंस कॉलेज में भौतिक विज्ञान के अध्यापक के तौर पर अध्यापन कार्य किया। सीवी रमन की रुचि शुरू से ही फिजिक्स में थी और अध्यापन के दौरान उन्होंने फिजिक्स में कई खोजे कीं। सन 1922 में सीवी रमन ने प्रकाश का आणविक विकिरण नाम से एक मोनोग्राफ बनाया। इसके तहत उन्होंने प्रकाश के बिखराव का शोध किया। अपने इस शोध पर उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
रमन को उनकी खोजों के लिए और विज्ञान की दुनिया में काम करने के लिए भारत सरकार ने 1954 में भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया। सन 1957 में उन्हें लेनिन शांति पुरस्कार भी दिया गया। भारत सरकार ने 1952 में उन्हें उपराष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने अस्वीकार कर दिया और विज्ञान में अपना कार्य करते रहे। 21 नवंबर 1970 को उनका देहांत हो गया।
परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने श्रद्धांजलि देते हुए koo पर पोस्ट किया है- नोबेल पुरस्कार से सम्मानित महान वैज्ञानिक भारत रत्न सर सी. वी. रमन जी को पुण्यतिथि पर विनम्र अभिवादन।
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