गुवाहाटी: असम विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई है और इस चुनाव में सबसे अधिक चर्चा भले ही पश्चिम बंगाल की हो, किन्तु उससे सटा राज्य असम भी कम महत्वपूर्ण नहीं है. सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए असम में अपने इस गढ़ को बचाने की बड़ी चुनौती होगी. भाजपा नॉर्थ ईस्ट में असम के रूप में अपने इस किले को बचाना चाहती है, लेकिन सत्ता में वापसी के प्रयासों में लगी कांग्रेस ने AIUDF के बदरुद्दीन अजमल के साथ गठबंधन करके सियासी जंग को रोचक बना दिया है.
असम में इस दफा होने वाले चुनाव में नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) के अलावा अवैध प्रवासी और मूल निवासी को जमीनी हक देने का मुद्दा छाए रहने की संभावना है. असम में चुनाव के दौरान CAA के खिलाफ भी आवाज उठ रही है. यही कारण है कि कांग्रेस ने CAA को अपना मुख्य एजेंडा बना लिया है. इसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दिसंबर 2019 में पास किया था. इस कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रबंध किया गया है. इन देशों के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी धर्म के शरणार्थियों को ही नागरिकता देने का प्रावधान है. इसमें मुस्लिमों को नहीं जोड़ा गया था.
CAA के साथ ही NRC का मुद्दा भी चुनाव का हिस्सा बनने के आसार हैं. हालांकि विवादों के बीच निर्वाचन आयोग ने कहा है कि जिन लोगों के नाम NRC लिस्ट में नहीं हैं, वो भी वोट दे सकेंगे. भाजपा इससे खुश नहीं है लेकिन कांग्रेस और AIDUF ने इस फैसले से खुश है.
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