नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के ऐलान के बाद अब मौलाना अरशद मदनी ने ‘नागरिकता संशोधन कानून (CAA)’ को भी निरस्त करने की माँग की है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने पीएम मोदी के ऐलान का स्वागत करते हुए कहा कि अब CAA भी रद्द कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने देवबंद में अपना बयान जारी किया है। मौलाना अरशद मदनी के बयान में कहा गया कि लोकतंत्र और आवाम की ताकत सर्वोपरि है।
मदनी ने कहा कि, जो लोग सोचते हैं कि सरकार और संसद ज्यादा ताकतवर हैं, वो बिल्कुल गलत हैं। आवाम ने एक बार फिर किसानों के रूप में अपनी ताकत दिखा दी है। इस आंदोलन की कामयाबी यह भी सीख देती है कि किसी भी जन आंदोलन को ताकत से कुचला नहीं जा सकता है। हमारे किसान भाई इसके लिए बधाई के पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने इसके लिए बड़ा बलिदान दिया है। एक बार फिर हकीकत सामने आ गई है कि यदि किसी जायज मकसद के लिए ईमानदारी और धैर्य के साथ आंदोलन चलाया जाए तो एक दिन भी बिना कामयाबी के नहीं जाता है।
मदनी ने ये भी दावा किया कि CAA विरोधी आंदोलन (शाहीनबाग) से ही किसानों के इस विरोध प्रदर्शन का मार्ग निकला। उन्होंने कहा कि ये हकीकत है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता। मौलाना अरशद मदनी ने याद दिलाया कि किस तरह महिलाओं-बुजुर्गों ने कई-कई दिनों तक सड़क पर बैठ कर ‘जुल्म के पहाड़’ सहे। उन्होंने दावा किया कि आंदोलन में शामिल लोगों पर कई गंभीर केस चलाए जाने के बाद भी इसे कुचलने में सरकार सफल नहीं हुई।
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