मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने जो आंकड़े जारी किये हैं उसके अनुसार देश का दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर के दौरान करंट अकाउंट डेफिसिट (सीएडी) दोगुने से अधिक होकर 7.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया है.यह जीडीपी के 1.2 फीसदी के बराबर है.वहीँ घाटा बढ़ने का मुख्य कारण कच्चे तेल का आयात बढ़ना है.
उल्लेखनीय है कि पहली तिमाही की तुलना में सीएडी में कमी आई है. पहली तिमाही में जहाँ सीएडी 15 अरब डॉलर रहा था, .जबकि पिछले साल दूसरी तिमाही में यह घाटा 3.4 अरब डॉलर था, जो पिछले साल की जीडीपी के 0.6 फीसदी के बराबर था. आपको जानकारी दे दें कि देश से विदेशी मुद्रा के आने और जाने के बीच के अंतर को सीएडी कहा जाता है.सीएडी में लगातार वृद्धि का कारण विदेश से आयात ज्यादा होना और उसके मुकाबले निर्यात में कमी होना है. भारत का सीएडी पहली छमाही में 74.8 अरब डॉलर रहा, जो गत वर्ष इसी समय 49.4 अरब डॉलर था.इस कारण चालू वित्तीय साल की पहली छमाही में सीएडी जीडीपी की तुलना में बढ़कर 1.8 फीसदी हो गया है.
बता दें कि देश में इस बार अप्रैल से सितबंर की अवधि में 12.46 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात हुआ, जिस पर 2.8 लाख करोड़ रुपए (43.5 अरब डालर) खर्च हुए जबकि पिछले साल इसी समय 12.61 करोड़ टन कच्चे तेल का अायात हुआ था, जिस पर 2.48 लाख करोड़ रुपए (37 अरब डालर) खर्च हुए थे. वहीँ आरबीआई ने बताया कि सितबंर तिमाही में विदेश मुद्रा भंडार में करीब 9.5 अरब डालर की वृद्धि हुई है. पिछले साल इसी दौरान यह वृद्धि 8.5 अरब डालर की थी.
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