नई दिल्लीः सरकार की आमदनी में कमी होने के चलते देश का राजकोषीय घाटा बढ़ता जा रहा है। टैक्स कलेक्सन में कमी के कारण समस्या विकट होती जा रही है। चालू वित्त वर्ष का राजकोषीय घाटा 5.47 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो सरकार के वर्ष 2019--20 के अनुमानित बजट का करीब 77.8 प्रतिशत है। कैग यानि महालेखा नियंत्रक के डाटा के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में जुलाई अंत तक सरकार के पास राजस्व के तौर पर कुल 5,47,605 करोड़ रुपये आए, जबकि कुल खर्च 9.47 लाख करोड़ रुपये रहा है। एक साल पहले राजकोषीय घाटा साल 2018--19 के अनुमानित बट का 86.5 फीसद था।
सरकार की तरफ साल 2019--20 के लिए अनुमानित घाटा 7.03 लाख करोड़ रुपये रखा गया था। कैग के अनुसार, अप्रैल-जुलाई, 2019-20 के दौरान सरकार की राजस्व प्राप्ति बीते वर्ष इसी अवधि की तुलना में बजट अनुमान (बीई) के 19.5 फीसद पर अपरिवर्तित रही। राजस्व प्राप्तियां 2019 के जुलाई-अंत में 3.82 लाख करोड़ रुपये थीं। पूरे वर्ष के दौरान राजस्व प्राप्तियां 19.62 लाख करोड़ रुपये आंकी गई हैं। देश में छाई मंदी से निपटने के लिए सरकार को देश में निवेश बढ़ाना पड़ेगा। ताकि बाजार में पैसा आए। निजी क्षेत्र पैसा लगाने में फिलहाल अक्षम है। ऐसे में सरकार के लिए यह आंकड़ा पर दिक्कत पेश करेगा। सरकार चाह कर भी इसमें कटौती नहीं कर सकती।
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