न बुलेटप्रूफ जैकेट, न तकनीकी कर्मचारी, कैसे करेगी महाराष्ट्र पुलिस आतंक का मुकाबला
न बुलेटप्रूफ जैकेट, न तकनीकी कर्मचारी, कैसे करेगी महाराष्ट्र पुलिस आतंक का मुकाबला
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मुंबई। महाराष्ट्र की जिस पुलिस पर व्यापक दबाव होता है जिस पुलिस बल को आतंकवाद, आपदा नियंत्रण, भीड़ नियंत्रण, विभिन्न आयोजनों और महाराष्ट्र के ही साथ मुंबई जैसे वैश्विक शहर में होने वाले अपराधों व गतिविधियों को लेकर कार्य करना पड़ता है वह डिजीटल इंडिया और अत्याधुनिक दौर में भी न तो पूरी तरह से हाईटेक हो पाया है और न ही पुलिस अमले के पास साजोसामान उपलब्ध हो सका है।

यह हम नहीं कह रहे हैं यह बात सामने आई है कैग की रिपोर्ट से। कैग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011 से वर्ष 2016 के मध्य पुलिस को केंद्रीय आधुनिकीकरण योजना के तहत राशि मिली थी। पुलिस केवल 38 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाई है। राज्य सरकार को इस मामले में 265 करोड़ रूपए से अधिक की राशि का नुकसान हुआ है। अमले के पास कई तरह के सामान की कमी है। उल्लेखनीय है कि देश में पुलिस विभाग आज भी पुराने हथियारों से ही काम चलाता है लेकिन मुंबई जैसे आधुनिक शहर और महानगर के लिए पुलिस को नई तकनीक से युक्त सामान दिया जाना चाहिए।

मिली जानकारी के अनुसार मुंबई पुलिस के पास न तो पर्याप्त बुलेट प्रूफ वाहन हैं और न ही तकनीकी कर्मचारी। पुलिस के पास पर्याप्त बुलेटप्रूफ जैकेट तक नहीं हैं। हालात ये हैं कि बुलेटप्रूफ जैकेटए नाइट विजन दुरबीनए बम डिस्पोजेबल सूटए पोर्टेबल एक्सरे यंत्र जैसे 28 करोड़ 76 लाख के सामान सितंबर 2016 तक नहीं खरीदे गए थे। उल्लेखनीय है कि मुंबई पुलिस को कई तरह के अपराधों से प्रतिदिन जूझना पड़ता है मगर अत्याधुनिक साजो सामान न होने के कारण उसे परेशानी आती है।

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