भोपाल: SC/ST एक्ट 1989 से संबंधित मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने बड़ी टिप्पणी की है। हाई कोर्ट का कहना है कि स्टाफरूम 'सार्वजनिक स्थान' नहीं है तथा ऐसे में इसे अपराध नहीं माना जा सकता है। दरअसल, आरोप लगे थे कि स्टाफ रूम में हुई बैठक के चलते शिकायतकर्ता को 'चमार' कहकर बुलाया गया तथा उसके साथ अभद्रता की गई थी। बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अपराधी याचिकाकर्ताओं ने कथित तौर पर स्टाफ रूम मीटिंग के चलते शिकायतकर्ता को चमार का जिक्र करते हुए अभद्र भाषा का उपयोग किया था।
मामले में जस्टिस विशाल धगट सुनवाई कर रहे थे। अदालत का कहना था कि चूंकि स्टाफ रूम ऐसी जगह नहीं, जो सार्वजनिक रूप से नजर में आती हो। ऐसे में आरोपी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है। अदालत ने कहा कि SC/ST Act की धारा 3(1)(x) के तहत सार्वजनिक जगह पर अनुसूचित जाति या अनुसूचिज जनजाति के व्यक्ति का अपमान करना या धमकाने के चलते दंड दिया जा सकता है।
हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक, 'यह स्पष्ट है कि SC & ST (POA) Act की धारा 3(1)(x) के तहत सार्वजनिक स्थान पर किए गए अपराध को अपराध माना जाएगा। स्टाफ रूम ऐसी जगह नहीं है, जो सार्वजनिक हो। ऐसे में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ SC & ST (POA) Act की धारा 3(1)(x) के तहत अपराध नहीं बनता है।' इसके अतिरिक्त अदालत ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 294 के तहत दर्ज आरोपों को भी खारिज कर दिया। अदालत का कहना था कि स्कूल का स्टाफ रूम ऐसी जगह नहीं है, जहां आम जनता बगैर अनुमति के जा सके। उन्होंने कहा, 'ऐसे हालात में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ IPC की धारा 294 के तहत अपराध नहीं बनता है।' अदालत ने यह भी कहा कि IPC की धारा 506 के तहत भी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अपराध नहीं बनता है।
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