कैंब्रिज यूनिवर्सिटी 800 साल से अधिक प्राचीन लिखित परीक्षा की परंपरा को खत्म करने पर विचार कर रही है. छात्रों की ख़राब हैंडराइटिंग के कारण कैंब्रिज यूनिवर्सिटी यह कदम उठा रही है. यूनिवर्सिटी अब लैपटॉप या आई-पैड पर परीक्षा आयोजित कराने के पक्ष में है. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने अपनी डिजिटल शिक्षा रणनीति के तहत अब इस मुद्दे पर परामर्श शुरू किया है. इस वर्ष की शुरुआत में यूनिवर्सिटी द्वारा एक टाइपिंग परीक्षा योजना की पहल भी की गई थी.
कैंब्रिज के इतिहास विभाग की प्रोफेसर डॉ. सारा पीयरसल ने कहा है कि मौजूदा छात्रों की पीढ़ी के बीच लिखावट एक ‘लुप्त कला’ बनती जा रही हैं. उन्होंने बताया, पहले छात्र एक दिन में नियमित रूप से कुछ घंटे हाथ से लिखते हुए बिताते थे लेकिन अब वे परीक्षा को छोड़कर कुछ भी हाथ से नहीं लिखते हैं.
जिस प्रकार लैपटॉप आई-पैड मोबाइल आदि साधनो का लगातार प्रचलन बढ़ रहा है. उसी प्रकार इन साधनो पर बढ़ती निर्भरता की वजह से छात्रों की लिखावट में गिरावट भी आई है. लैक्चर के नोट्स लेने के लिए छात्रों के बीच लैपटॉप का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है और ऐसे में इस कदम के साथ ही 800 साल से ज्यादा पुरानी हाथ से पेपर लिखने की परंपरा को समाप्त किया जा सकता है.
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