नई दिल्ली : अब समय बदल गया है.महिलाएं मन्दिर में पूजा क्यों नही कर सकती. महिलाओं को भारतीय मंदिरों में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता है. यह टिप्पणी कालकाजी मंदिर के पुजारी द्वारा अपनी दो बहनों के खिलाफ मंदिर में पूजा करने पर रोक लगाने के लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने की.
गौरतलब है कि अपनी याचिका में याची ने तर्क दिया कि शादी के बाद से उनकी बहनें अलग-अलग परिवार और गोत्र की हो गई हैं, ऐसे में उन्हें पूजा का कोई अधिकार नहीं है. प्राचीन काल से इस मंदिर में परिवार के पुरुष ही प्रसाद व आय के हकदार हैं, क्योंकि वे ही मंदिर में पूजा और अन्य रस्में अदा करते हैं. मंदिर के इतिहास में कभी भी किसी महिला ने पूजा नहीं की.
न्यायमूर्ति बीडी अहमद व न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में दिए एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि महिलाओं को पूजा स्थल में प्रवेश करने से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता.याची ने अदालत को बताया कि निचली अदालत ने उनकी बहनों को मंदिर में पूजा, सेवा और एकत्रित प्रसाद में हिस्सा प्रदान करने की इजाजत दी है.और उनकी दोनों बहनों को प्रदान पूजा व सेवा की इजाजत पर रोक लगाई जाए.याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति जेआर मिड्ढा की अदालत में हुई जहाँ दोनों पक्षों से जवाब मांगा है. न्यायमूर्ति ने कहा कि वे दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही कोई निर्णय देंगे.
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