जैव विविधता पर बढ़ते शहरीकरण के कारण पड़ने वाले प्रभावों का आकलन करने वाले एक अध्ययन में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक वैश्विक रूप से लगभग तीन लाख वर्ग किलोमीटर के प्राकृतिक क्षेत्र तबाह होकर शहरों में तब्दील हो जाएंगे. इसका आकार पूरे ब्रिटेन से भी बड़ा होगा. शोधकर्ताओं ने 900 से ज्यादा अध्ययनों का सर्वेक्षण कर यह दावा किया है.
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इस मामले को लेकर नेचर सस्टेनिबिलिटी नामक जर्नल में प्रकाशित हुए अध्ययन में बताया गया है कि वर्ष 2030 तक वैश्विक रूप से 120 करोड़ अतिरिक्त लोग शहरी क्षेत्रों में बसने आ सकते हैं. कनाडा की एमसी गिल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा, ‘विकास की यह गति हर छह सप्ताह में न्यूयॉर्क के आकार का एक नए शहर का निर्माण कर सकती है.’
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस अध्ययन के सह-लेखक और एमसीगिल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एंड्रयू गोंजालेज ने कहा, ‘शहरों की बढ़ती आबादी के प्रभावों के बारे में हमारी समझ भविष्य की जैव विविधता के लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन हमें अपनी समझ और ज्ञान को दुरुस्त करने की जरूरत है. यदि हम ऐसा नहीं कर पाए तो इससे शहरीकरण के बारे में नई और कारगर नीतियों को बनाने की हमारी क्षमता भी प्रभावित हो सकती है.’अध्ययन ने बताया गया है कि जैव विविधता पर बढ़ते शहरीकरण का सीधा प्रभाव उष्णकटिबंधीय तटीय क्षेत्रों जैसे-चीन, ब्राजील और नाइजीरिया में अधिक गंभीर होगा क्योंकि यहां जैव विविधता का स्तर काफी उच्च है.
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