नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली सीएम अरिवंद केजरीवाल के बयान को सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने गैर-संवैधानिक करार दिया है। 56 पूर्व सिविल सेवकों ने भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) को पत्र लिखते हुए AAP की मान्यता वापस लेने का अनुरोध किया है। केजरीवाल द्वारा की गई "असंतुलित और विवादास्पद" टिप्पणी की तरफ संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने सरकारी अधिकारियों के अलावा ड्राइवर, कंडक्टर जैसे लोक सेवकों से पूछने की उनकी अपील असंतुलित और विवादास्पद है।
चुनाव आयोग को भेजे गए पत्र में राजकोट में अरविन्द केजरीवाल की एक प्रेस वार्ता का हवाला दिया गया है। आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने इस पत्रकार सम्मेलन में सिविल सर्वेंट्स को AAP के पक्ष में काम करने की कड़ी चेतावनी दी थी और कहा था कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो कुछ माह बाद गुजरात की सत्ता में आने के बाद ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जो उनकी बात नहीं मानेंगे। अधिकारियों ने इसे वर्तमान अधिकारियों को दबाव में लाने का संवैधानिक प्रयास करार दिया है।
कर्नाटक के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव एम मदन गोपाल ने कहा है कि, करीब 20 दिन पहले राजकोट में प्रेस वार्ता में केजरीवाल के बयान ने संविधान में यकीन रखने वालों को आहत किया है। ड्राइवर, कंडक्टर और पुलिस अधिकारियों जैसे लोक सेवकों से पूछने की केजरीवाल की अपील असंतुलित, विवादास्पद है। भारत के संविधान के प्रति हमारी निष्ठा है, यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए उचित नहीं है। कानून के शासन और भारत के संविधान के प्रावधानों में दृढ़ विश्वास रखने वाले अधिकारियों, करीब 56 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने निर्वाचन आयोग को शिकायत दी है। इस तरह के उल्लंघनों को एक प्रवृत्ति बनने से पहले रोकने की आवश्यकता है।
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