बैंगलोर: कर्नाटक के पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा विभाग ने जानवरों को हलाल करने से पहले क्या प्रक्रिया अपनानी है, इस बाबत आदेश जारी किए हैं। इस आदेश में सभी बूचड़खानों को कहा गया है कि वो किसी भी जानवर की हत्या करते वक़्त उसे होश में नहीं रख सकते। यानी हलाल किए जाने से पहले पशु को बेहोश करना जरूरी होगा। बता दें कि इस प्रक्रिया को स्टनिंग कहते हैं, जिसमे जानवर के सिर पर मारकर या गैस या बिजली के झटके देकर उसे बेहोश कर दिया जाता है। इसके बाद जानवर को हलाल करने के लिए जो प्रक्रिया होती है, वो पूरी की जाती है।
कर्नाटक सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश के बाद बेंगलुरु नगर निगम की तरफ से कहा गया है कि बूचड़खानों और चिकन की दुकानों को लाइसेंस जारी करते वक़्त इस प्रकार की सुविधा जाँच ली जाए। बोम्मई सरकार ने यह फैसला रमजान के महीने के बीच लिया है। इससे पहले हिंदू संगठन हलाल मीट का विरोध करते इसके बहिष्कार की मांग की थी। इस निर्देश के बाद कुछ लोगों का कहना है कि यदि जानवर को बेहोश करके काटा गया, तो उसे हलाल नहीं माना जाएगा। बता दें कि, हलाल प्रक्रिया में जानवर को धीरे-धीरे काटा जाता है और पूरा खून निकलने के बाद उसका मांस प्रयोग किया जाता है। वहीं हिंदू रिवाज के मुताबिक झटके से काटे गए जानवर का मीट प्रयोग में लाया जाता है।
बता दें कि 1 अप्रैल को पशुपालन व पशु चिकित्सा सेवाओं के उपनिदेशक ने जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम नियम 2001 का हवाला देते हुए बेंगलुरु नागरिक निकाय को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे कि जानवरों को मारने से पहले उन्हें बेहोश कर दिया जाए। पत्र में यह भी कहा गया था कि उनके विभाग को जनता से शिकायतें प्राप्त हुईं हैं कि जानवरों के वध से पहले जो सरकारी नियमों को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
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