रांची: जुलाई 2020 में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को दो अलग-अलग मेल से अलग-अलग दिन पर जान से मारने की धमकी दी गई थी। इस घटना में कार्रवाई में देरी होने की वजह से अब मुख्यमंत्री हेमंत को धमकी देने वाली को पकड़ पाना असंभव सा हो गया है। दरअसल, जर्मन सरकार ने स्पष्ट बोल दिया है कि वह डेटा का प्रिजर्वेशन केवल वर्ष भर तक ही करती है। लिहाजा देरी से खबर प्राप्त होने की वजह से अब इस बात का पता लगाना कठिन हो गया है कि धमकी किसने दी थी।
वही इस घटना में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर तहकीकात की जिम्मेदारी CID को दे दी थी। तभी जाँच में पता चला कि विदेशी सर्वर का उपयोग करके धमकी दी गई है। इस घटना में इंटरपोल से भी सहायता मांगी गई थी किन्तु प्रक्रिया लंबी होने की वजह से देर होती चली गई। सीएम को साइबर अपराधियों ने जर्मन कंपनी के सर्वर से मेल भेजा था। इंटरपोल के माध्यम से जर्मनी से सर्वर का डिटेल मांगा गया था किन्तु अब जर्मन सरकार ने इंटरपोल के माध्यम से पत्राचार किया है। इसमें कहा गया है कि संबंधित सर्वर में डाटा एक वर्ष तक ही संरक्षित होता है। अब डाटा नहीं होने की वजह से इसे इंटरपोल को नहीं सौंपा जा सकता। तत्पश्चात, इंटरपोल ने इस सिलसिले में प्रदेश पुलिस की CID को खबर दे दी है।
वही विदेशी सर्वर से विवरण जुटाने के लिए इंटरपोल की सहायता ली जाती है। इंटरपोल से प्रदेश की पुलिस सीधे अनुरोध नहीं कर सकती, इसलिए CBI के माध्यम से ही इंटरपोल से मामले में कार्रवाई कराई जाती है। ऐसे में मामले के जांचकर्ता ने CID मुख्यालय के आदेश से CBI मुख्यालय दिल्ली को चिट्ठी लिखी थी। साइबर थाना के जांच पदाधिकारी ने इंटरपोल से सहायता लेने के लिए अदालत में आवेदन भी दिया था।
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