'पत्रकार को लिखने से रोक नहीं सकते...', मोहम्मद जुबैर को बेल देते हुए SC ने कही ये बड़ी बातें

'पत्रकार को लिखने से रोक नहीं सकते...', मोहम्मद जुबैर को बेल देते हुए SC ने कही ये बड़ी बातें
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नई दिल्ली: Alt न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर को उच्चतम न्यायालय ने आज बड़ी राहत दी। उनको उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी FIR में अंतरिम जमानत मिल गई। इसके साथ-साथ उच्चतम न्यायालय ने तहकीकात के लिए उत्तर प्रदेश में बनाई गई SIT को भी भंग कर दिया। इसी के साथ उच्चतम न्यायालय ने फैसला देते वक्त कुछ कड़ी टिप्पणियां भी कीं। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि गिरफ्तारी की शक्ति का प्रयोग संयम से किया जाना चाहिए। कहा गया कि अब जुबैर को गिरफ्त में रखने का कोई औचित्य नहीं है। आज ही शाम छह बजे तक जुबैर को रिहा कर दिया जाएगा। इसी के साथ अदालत ने यह भी कहा कि वह जुबैर को ट्वीट करने से नहीं रोक सकते। उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसी रोक की मांग की थी।

बता दें कि फैक्टचेकर मोहम्मद जुबैर के खिलाफ कुल 7 FIR दर्ज थीं। इनमें से एक दिल्ली में और शेष 6 उत्तर प्रदेश में दर्ज हुई थीं। दिल्ली वाले मामले में मोहम्मद जुबैर को पहले ही जमानत प्राप्त हो चुकी है। अब उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी छह मामलों में जुबैर को अंतरिम जमानत प्राप्त हो गई है। मतलब अब मोहम्मद जुबैर को जेल से रिहा किया जाएगा। इसके साथ अदालत ने दर्ज सभी मामलों को एक साथ क्लब किया है। एक ही जांच एजेंसी (स्पेशल सेल) इनकी जांच करेगी। यूपी में दर्ज 6 FIR को अदालत ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को स्थांतरित कर दिया है। 

उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि मोहम्मद जुबैर को 20,000 रुपये के जमानत बांड के साथ जमानत पर रिहा किया जाएगा। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जुबैर अपने खिलाफ दर्ज सभी या किसी भी प्राथमिकी को रद्द करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं। फैक्टचेकर जुबैर पर कुल 7 FIR दर्ज हैं। इसमें से एक दिल्ली और शेष 6 यूपी में दर्ज है। उत्तर प्रदेश में कहां-कहां केस दर्ज हैं जानिए- 

गाज़ियाबाद, लोनी
मुजफ्फरनगर
लखीमपुर
खेराबाद, सीतापुर
सिकंदरराव, हाथरस 
चंदोली

वही कुल चार मामलों में हिरासत में लिये गए थे। इसमें दिल्ली, सीतापुर, हाथरस एवं लखीमपुर खीरी का मामला सम्मिलित है। इन 4 मामलों में से सीतापुर मामले और दिल्ली मामले में उनको जमानत प्राप्त हो चुकी थी। अदालत में एक अवसर ऐसा भी आया जब उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि मोहम्मद जुबैर को ट्वीट करने से रोका जाए। इसपर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह आप कैसे कह सकते हैं? यह ऐसा है जैसे किसी अधिवक्ता को बहस करने से रोका जाए। या किसी व्यक्ति को बोलने से रोका जाए। वह जो करेगा, उसके लिए वह जिम्मेदार होगा। आगे उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जब उत्तर प्रदेश में दर्ज FIR में आरोप वही हैं जो दिल्ली पुलिस की FIR में हैं तो फिर उनको अलग से हिरासत में रखने का कोई मतलब नहीं बनता। उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि अगर आगे भी इस मामले में कोई FIR दर्ज होती है तो उसे दिल्ली ट्रांसफर किया जाएगा। जुबैर के उनके खिलाफ तहकीकात के लिए गठित SIT की संवैधानिकता को भी चुनौती दी थी। इसे भी अदालत ने भंग कर दिया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिरीक्षक यानी आईजी की अगुआई में एसआईटी गठित करने की घोषणा की थी। SIT की अगुआई आईजी प्रीत इंदर सिंह कर रहे थे जबकि DIG अमित कुमार वर्मा भी इसमें सम्मिलित थे। किन्तु अब इसको भंग कर दिया गया है।

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