लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के बीच ऑटोमोबाइल कंपनियों की बिक्री में गिरावट होना कोई नई बात नहीं है. लेकिन महीनेभर में ऑटो कंपनियों का खाता नहीं खुलना शायद पहली बार देखा गया है. अप्रैल में देश में कारों व अन्य वाहनों की बिक्री एकदम शून्य रही है. वजह निश्चित तौर पर कोविड-19 महामारी रही है जिसे रोकने के लिए सरकार ने 25 मार्च, 2020 से ही पूरे देश में लॉकडाउन कर रखा है. अब जबकि लॉकडाउन की अवधि को दो हफ्ते और बढ़ाकर 17 मई तक कर दिया गया है तो मई का महीना भी इन कंपनियों के लिए भारी बीतेगा. ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से उन्हें रोजाना 2,300-2,500 करोड़ रुपये की हानि हो रही है. लॉकडाउन जितना लंबा चलेगा, उनके लिए एक बार फिर सामान्य हालात की तरफ लौटना उतना ही मुश्किल होगा.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि देश की सभी प्रमुख कार कंपनियों मारुति सुजुकी, हुंडई, एमजी मोटर्स, टाटा मोटर्स, टोयोटा, महिंद्रा ने बताया है कि अप्रैल में उन्होंने एक भी गाड़ी नहीं बेची है. देश के कार उद्योग में लगभग 50 फीसद हिस्सेदारी रखने वाली मारुति सुजुकी ने कहा है कि उसने अप्रैल में सिर्फ मुंद्रा पोर्ट से 632 वाहनों का निर्यात किया है. यह तभी संभव हो पाया कि वहां कंपनी की कारें पहले ही पहुंच गई थीं. इन सभी कंपनियों के प्लांट में 20-22 मार्च, 2020 से मैन्यूफैक्चरिंग बंद है. हुंडई ने कहा है कि उसकी भी घरेलू बिक्री नहीं हुई है लेकिन उसने 1,341 कारों का निर्यात किया है. महिंद्रा एंड महिंद्रा ने भी सिर्फ 733 वाहनों का निर्यात किया है. इसने भी अपना घरेलू उत्पादन बंद कर रखा है. दोपहिया वाहन कंपनियों की कहानी कोई दूसरी नहीं है. इनके भी प्लांट बंद हैं, बिक्री बंद है.
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इस मामले को लेकर कार कंपनियों का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन खत्म होने के बावजूद उनके लिए बिक्री की रफ्तार बढ़ाना बहुत मुश्किल होगा. वैसे भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार का मूड पहले से ही काफी सुस्त था और एक वर्ष से बिक्री गिरती ही जा रही थी. अब जबकि आर्थिक विकास दर एक फीसद पर सिमटने की बात कही जा रही है, तो कार कंपनियों के लिए बाजार में नए खरीदार तलाश भी एक बड़ी चुनौती होगी.
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