McAfee ने अपने रिपोर्ट में खुलासा किया है कि 90 प्रतिशत से अधिक महामारी से जुड़े मालवेयर ने ट्रोजन का रूप ले लिया है। दरअसल विश्व भर में ज्यादातर लोग कोरोना को लेकर परेशान हैं तथा हैकर्स उसी का लाभ उठाकर व्यक्तियों को अपना शिकार बना रहे हैं। वो SMS या WhatsApp के माध्यम से मैसेज भेजकर उन्हें वैक्सीन ऐप डाउनलोड करने को बोल रहे हैं तथा एक बार यूजर जैसे ही उस लिंक पर क्लिक कर रहा है वो इसका शिकार हो जा रहा है।
वही इससे पूर्व ऐसा केस बीते वर्ष नवंबर में भी सामने आया था जब भारत में किसी वैक्सीन को अप्रूवल नहीं प्राप्त हुआ था। McAfee ने कहा कि इस कैंपेन के पीछे उसी परिवार का मालवेयर है जिसे टिकटॉक बैन के चलते जुलाई में देखा गया था। इसके साथ McAfee ने यह भी बताया कि सबसे पहले फर्जी वैक्सीन मालवेयर कैंपने फरवरी में चिली में देखने को मिला था। रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने भारतीय यूजर्स को निशाना बनाने वाले एक SMS वर्म के सबूत पाए, जो सबसे आरभिंक वैक्सीन धोखाधड़ी अभियानों में से एक था। इसमें SMS तथा WhatsApp दोनों के माध्यम से संदेश भेजकर यूजर्स को एक वैक्सीन ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित किया गया तथा एक बार डाउनलोड होने के पश्चात्, मैलवेयर ने SMS या WhatsApp के जरिए यूजर के कॉन्टैक्ट में सम्मिलित सभी को मैसेज भेज दिया।
SMS संदेशों को पढ़ने तथा यूजर्स के लिए अज्ञात सब्सक्रिप्शन सर्विस की मेंबरशिप की पुष्टि करने के लिए और जरुरी जानकारी निकालने के लिए हैकर्स एटिनू नामक मोबाइल मैलवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका पता लगाने और हटाए जाने से पहले 700 हजार से ज्यादा डाउनलोड की सूचना प्राप्त हुई थी।
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