भोपाल: 14 मई को मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (एमपीबीएसई) हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के रिजल्ट में सफल परीक्षार्थियों को चार वर्गों ओबीसी, एससी, एसटी और जनरल में बांटा गया था. जाति के आधार पर मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (एमपीबीएसई) हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का रिजल्ट वर्गीकृत करना बोर्ड को भारी पड़ता नज़र आ रहा है. इससे स्टूडेंट्स और अभिभावकों ने नाराजगी जताई है, साथ ही राज्य में चुनाव नजदीक होने के चलते इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है. रिजल्ट शीट पर साफ-साफ 'वर्गवार नियमित' लिखा हुआ है. कांग्रेस ने इसे जाति आधारित रिजल्ट करार दिया. हालांकि एमपीबीएसई के चेयरमैन एसआर मोहंते ने कहा कि ऐसा वर्गीकरण स्टूडेंट्स को मिलने वाले लाभों में आसानी हो, इसलिए किया गया है. उन्होंने कहा, 'इस डेटा से कैंडिडेट्स आसानी से कई योजनाओं का लाभ ले सकेंगे.'
मोहंते ने इस बात पर जोर दिया कि एम बोर्ड ही एकमात्र ऐसा बोर्ड नहीं है जिसने इस तरह रिजल्ट में वर्गीकरण किया है. उन्होंने कहा, 'जाति आधारित रिजल्ट क्या हो सकता है, मुझे तो समझ नहीं आता. इस तरह का वर्गीकरण स्टूडेंट्स को उन स्कीम्स का आसानी से लाभ दिलाने के लिए है और हम ऐसा लंबे वक्त से करते रहे हैं. इसे बेवजह तूल दिया जा रहा है.'
सीएम शिवराज सिंह चौहान को जाति को लेकर हाल ही में कुछ असहज पलों का सामना करना पड़ा था जब एक ओबीसी छात्र ने एससी/एसटी छात्रों के प्रति 'पूर्वाग्रह' के बारे में उनसे सवाल किया था. छात्र ने कहा था कि उसे टॉप 80 छात्रों में स्कोर करने के बावजूद फ्री लैपटॉप नहीं मिला, जबकि उसके एक एससी दोस्त को सरकार से फ्री लैपटॉप मिला जबकि उसके अंक भी कम आए थे.
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