'एक-एक कर हिन्दू पकड़ो, सबका रेत दो गला', बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ खूनी ऐलान

'एक-एक कर हिन्दू पकड़ो, सबका रेत दो गला', बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ खूनी ऐलान
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बांग्लादेश में हाल ही में ISKCON के संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी एवं उनके खिलाफ चल रहे विवाद ने भारत और बांग्लादेश के बीच गहरी राजनीतिक और सामाजिक चिंता पैदा कर दी है। इस मामले में बांग्लादेश सरकार ने न सिर्फ हिन्दू संत की गिरफ्तारी को सही ठहराया, बल्कि वहां के कट्टरपंथी तत्वों द्वारा हिन्दू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा तथा उत्पीड़न की घटनाओं को भी नजरअंदाज किया। बांग्लादेश में हाल के दिनों में हिन्दू समुदाय के खिलाफ कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें हिन्दुओं की हत्या, धार्मिक स्थल पर हमले एवं मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा हिंसा को बढ़ावा देना सम्मिलित है।

संत चिन्मय कृष्ण दास को जमानत से इनकार सोमवार (25 नवम्बर, 2024) को बांग्लादेश के ढाका में गिरफ्तार किए गए हिन्दू संत चिन्मय कृष्ण दास को मंगलवार को चटगाँव के अदालत में जमानत नहीं दी गई। जज काजी नजरुल इस्लाम ने उन्हें कथित देशद्रोह के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया तथा उन पर बांग्लादेश के झंडे का अपमान करने का आरोप लगाया गया। असल में, बांग्लादेश सरकार द्वारा यह कदम हिन्दू समुदाय की आवाज को दबाने के लिए उठाया गया था। संत चिन्मय कृष्ण दास निरंतर बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं के उत्पीड़न के खिलाफ बोल रहे थे। चटगाँव में हुई हिंसा में एक अधिवक्ता की मौत हो गई, जो चिन्मय कृष्ण दास की जमानत का विरोध कर रहा था।

अधिवक्ता को उसके चैम्बर से खींचकर मारा गया, तथा बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई। अधिवक्ता की हत्या का आरोप उस हिंसा में सम्मिलित इस्लामी कट्टरपंथियों पर लगा है, हालांकि पुलिस मामले में कोई खास जानकारी नहीं दे रही है। पुलिस कार्रवाई एवं हिन्दू प्रदर्शनकारियों पर हमले चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ चटगाँव में प्रदर्शन करने वाले हिन्दू प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने बेरहमी से लाठियाँ चलाईं तथा गोलियाँ भी चलाईं। इस पुलिस कार्रवाई में कई हिन्दू घायल हो गए, जिनका चिकित्सालय में उपचार किया गया। इस घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं।

हिन्दुओं को निशाना बनाकर रैली तथा हिंसा बांग्लादेश के चटगाँव में इस्लामी कट्टरपंथियों ने एक रैली निकाली और हिन्दुओं को निशाना बनाने के लिए हिंसक नारे लगाए। एक वायरल वीडियो में इन कट्टरपंथियों को यह बोलते हुए सुना जा सकता है, "एक-एक इस्कॉन (हिन्दू) वाले को ढूंढो, उन्हें जिबाह करो।" इसके अतिरिक्त, चटगाँव के हजारी गली में हिन्दुओं पर हमला हुआ और काली मंदिर को भी तोड़ा गया। किशोरगंज में 4 हिन्दुओं की हत्या बांग्लादेश के किशोरगंज में 4 हिन्दुओं की लाशें मिली हैं। मृतकों के नाम जॉनी बिस्वास, रूपा रानी बिस्वास, ध्रुब बिस्वास और कोथा रानी बिस्वास हैं। वे एक किराए के घर में मृत पाए गए, जहां जॉनी की लाश फांसी से लटकी हुई थी, जबकि बाकी तीनों का गला रेता हुआ था। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है तथा मौत की वजहों की तहकीकात की जा रही है।

सनातनी जागरण जोत का बयान एवं बांग्लादेश की प्रतिक्रिया बांग्लादेश में हिन्दुओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था सनातनी जागरण जोत ने चटगाँव की हिंसा के बारे में बयान जारी किया। संस्था ने बताया कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन करने वाले हिन्दू समुदाय पर पुलिस तथा इस्लामी कट्टरपंथियों ने हिंसा की। सनातनी जागरण जोत ने यह भी नकारा कि अधिवक्ता की हत्या का आरोप हिन्दू प्रदर्शनकारियों पर लगाया गया था तथा कहा कि पत्थरबाजी मस्जिद से की गई थी। भारत ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश सरकार से हिन्दू संतों की सुरक्षा की अपील की थी, किन्तु बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इसे आंतरिक मामला बताते हुए भारत की टिप्पणी को गलत और तथ्यों के विपरीत बताया। बांग्लादेश सरकार ने इस घटनाक्रम को सही ठहराने का प्रयास किया, जबकि हिन्दू समुदाय और भारत ने इसे गंभीर रूप से निंदा की।

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