नई दिल्ली: केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार की जमानत का सोमवार को सर्वोच्च अदालत में विरोध करते हुए कहा है कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान हुए सिक्खों के कत्लेआम के वे 'सरगना' थे। कांग्रेस के पूर्व सांसद 73 वर्षीय सज्जन कुमार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 17 दिसंबर, 2018 के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने सज्जन कुमार को एक मामले में दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है। जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने सज्जन कुमार की जमानत की अर्जी 15 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध करते हुये जांच एजेन्सी को निर्देश दिया है कि इस पूर्व सांसद सज्जन कुमार की संलिप्तता वाले अन्य मामले के मुकदमे की प्रगति से अदालत को अवगत करवाया जाए।
जांच ब्यूरो की तरफ से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से कहा है कि अगर सज्जन कुमार को जमानत पर रिहा किया गया तो यह इंसाफ का मखौल होगा, क्योंकि 1984 के सिख विरोधी दंगे से संबंधित एक अन्य मामले में पटियाला हाउस की कोर्ट में उन पर मुकदमा चल रहा है। उन्होंने कहा, 'सिखों का नरसंहार एक जघन्य अपराध था और सज्जन कुमार इसमें मुख्य सरगना थे।'
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