नई दिल्ली: 2020 में रूह कंपा देने वाले महाराष्ट्र के पालघर साधू हत्याकांड की जांच अब केंद्रीय जाँच एजेंसी CBI को सौंपी गई है. महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय को जानकारी दी थी. जिसके बाद शीर्ष अदलात ने इस पर संज्ञान में लिया और मामले की जांच को CBI को सौंपने के फैसले को मंजूरी दे दी. शीर्ष अदलात ने महाराष्ट्र सरकार को इस बारे में हलफनामा दाखिल करने को कहा है कि यह मामला अब जांच के लिए CBI को सौंपा जा रहा है.
Role of @Palghar_Police in killing Hindu Saints.#Palghar pic.twitter.com/cd9ndDTN3J
— राष्ट्रसेवक (@swadesh2014modi) April 19, 2020
बता दें कि, इससे पहले की सुनवाई में शीर्ष अदालत महाराष्ट्र सरकार से पूछा था कि जांच को CBI को सौंपने के लिए उन्होंने क्या तैयारी की है. राज्य सरकार ने जवाब देने के लिए दो हफ्ते की मोहलत मांगी थी. शुक्रवार (28 अप्रैल) की सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय को राज्य सरकार ने विस्तार से मामले को CBI को सौंपने के संबंध में जानकारी दी. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए मंजूरी दे दी. बता दें कि, 16 अप्रैल 2020 को पालघर जिले के अंतर्गत आने वाले गढ़चिंचले गांव में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की उपद्रवी भीड़ द्वारा पुलिस के सामने निर्मम हत्या कर दी गई थी.
Two saints were brutally killed in front of the police in Maharashtra's palghar. when the saint tried to survive by holding the hands of the police, while the policeman left him to die instead of firing blank shots. pic.twitter.com/9pcIs5lA9n
— Deepak Behara (@deepakbehera002) April 19, 2020
यह हत्या बच्चा चोरी की अफवाह पर की गई थी, जबकि वे साधू अपने आध्यात्मिक गुरु के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र से सूरत जा रहे थे. शॉर्ट कट के लिए वे साधू गांव के भीतर की सड़क की तरफ मुड़ गए थे. रास्ते में ग्रामीणों ने उन्हें रोक लिया और शक के आधार पर तीनों को पीट-पीटकर मार डाला. इसका वीडियो भी काफी वायरल हुआ था, जिसमे साधू वहां मौजूद पुलिस से अपनी रक्षा करने की गुहार लगा रहे थे और पुलिस उन्हें खुद से अलग कर दे रही थी, जिसके बाद भीड़ फिर उनपर हमला करती रही। विपक्ष (भाजपा) इस मामले की जांच CBI से करवाने की मांग कर रहा था. जबकि उद्धव ठाकरे सरकार का कहना था कि महाराष्ट्र पुलिस की जांच के बाद CBI जांच की आवश्यकता नहीं है.
निर्दोष साधुओं की पुलिस के सामने पीट-पीट कर हत्या किए जाने से देश भर में आक्रोश था. तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार पर मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई में ढिलाई करने के इल्जाम भी लगे थे. उद्धव सरकार को हिंदुओं की विरोधी तक कहा गया था.
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