नई दिल्लीः केंद्र सरकार एक तरफ देश में छाई आर्थिक सुस्ती से लड़ रही है वहीं दूसरी तरफ देश को पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कर रही है। विपक्ष इस पर सवाल भी उठा रहा है। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने बताया है कि देश को अगले पांच वर्षो में पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में निवेश की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है।
सीईए ने बीते दशक में निवेश में आई भारी गिरावट पर चिंता जताई। वह इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आइएसबी) के पूर्ववर्ती छात्रों के कार्यालय की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। सुब्रमणियन से जब पूछा गया कि भारत कैसे अगले पांच वर्षो में पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा। इस पर उन्होंने कहा कि देश में निवेश को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करके यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि निवेश को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने तीन प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है।
इनमें भूमि सुधार (भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार की जरूरत), श्रम सुधार (रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए श्रम कानूनों को सरल बनाना) और बिजली क्षेत्र में सुधार (कीमतें ऐसी हों कि सबको बिजली सुलभ दरों पर मिले और इससे पूरे देश में अधिक संतुलित विकास को बढ़ावा मिल सके) शामिल हैं। सीईए ने बताया कि निवेश 2008 में जीडीपी के 40 फीसद पर था। लेकिन पिछले वर्ष (2018) गिरकर 29 फीसद पर रह गया है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए ये सब चिंताजनक आंकड़े हैं। बता दें कि केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर लगातार विपक्ष ेक निशाने पर है।
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