सनातन धर्म में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को छठ पूजा का आरम्भ होता है, जो पूरे चार दिन तक बड़ी धूमधाम एवं श्रद्धा से मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से सूर्य देव और षष्ठी माता की पूजा अर्चना के लिए समर्पित होता है। छठ पूजा का महत्व और इसकी विधि अत्यंत पवित्र मानी जाती है, क्योंकि इसे पारंपरिक रूप से समृद्धि, सुख-शांति एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो निरंतर चार दिनों तक चलता है। पूजा की विशेषता यह है कि इसमें सूर्य देव और षष्ठी माता की पूजा की जाती है, जो जीवन के विविध पहलुओं में सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर, मंगलवार को हो चुकी है, तथा इसका समापन 8 नवंबर 2024, शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करके किया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति छठ पूजा का व्रत रखते हैं, उन्हें सुख-शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व का आखिरी दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी दिन पारण किया जाता है। बिना पारण किए पूरे पर्व का फल नहीं प्राप्त होता है। आइए आपको बताते हैं, पारण करने का सही तरीका और विधि क्या है?
छठ व्रत पारण विधि
जब आप चार दिवसीय छठ पर्व का पारण करें, तो ध्यान रखें कि सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ-साथ घाट पूजन का विशेष महत्व है। फिर बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें एवं छठी माता को अर्पित किया गया प्रसाद सभी को बांटें। छठ पूजा का व्रत खोलते समय ध्यान रखें कि मसालेदार भोजन से परहेज करना है। व्रत को पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद जैसे ठेकुआ, मिठाई आदि से खोलें। इसके अतिरिक्त, आप चाय पीकर भी व्रत का पारण कर सकते हैं।
छठ व्रत पारण का सही समय
उदयातिथि के मुताबिक, छठ पूजा का पर्व 7 नवंबर, बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा। छठ पूजा संपन्न करने के लिए 7 नवंबर को शाम के समय का अर्घ्य दिया जाएगा, और 8 नवंबर को प्रातः का अर्घ्य सूर्योदय के पश्चात् दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 38 मिनट पर होगा, और इसके बाद व्रत का पारण किया जा सकता है।
छठ व्रत पारण का सही नियम
पारण का सही समय सूर्योदय के समय होता है।
पारण करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
पूजा स्थल को साफ करें और दीपक जलाएं।
पारण के लिए प्रसाद तैयार करें, जिसमें ठेकुआ, फल, दूध, दही आदि शामिल हों।
भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करें और उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें।
पूजा के बाद प्रसाद को सभी को बांटें और खुद ग्रहण करके पारण करें।
पारण के बाद जरूरतमंदों को दान दें।
पारण के समय पूरी तरह से शुद्धता का ध्यान रखें और सात्विक भोजन का सेवन करें।
अंत में मंदिर जाकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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